Hindi Poem of Sumitranand Pant “Aajad ”, “आजाद” Complete Poem for Class 10 and Class 12

आजाद -सुमित्रानंदन पंत

Aajad – Sumitranand Pant

पैगम्बर के एक शिष्य ने
पूछा, ‘हजरत बंदे को शक
है आज़ाद कहां तक इंसा
दुनिया में, पाबंद कहां तक?’

‘खड़े रहो!’ बोले रसूल तब,
‘अच्छा, पैर उठाओ ऊपर’
‘जैसा हुक्म!’ मुरीद सामने
खड़ा हो गया एक पैर पर!

‘ठीक , दूसरा पैर उठाओ ‘
बोले हंस कर नबी फिर तुरंत,
बार बार गिर, कहा शिष्य ने
‘यह तो नामुमकिन है हजरत’

‘हो आज़ाद यहां तक, कहता
तुमसे एक पैर उठ उपर,
बंधे हुए दुनिया से, कहता
पैर दूसरा अड़ा जमीं पर!’ –
पैगम्बर का था यह उत्तर!

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