Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Karni ka Phal” , “करनी का फल” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

करनी का फल

Karni ka Phal

 

 

किसी गांव में एक ब्राह्मण रहता था| उसके पास खेती-बाड़ी के लिए जमीन थी, लेकिन उस जमीन पर फसल अच्छी नहीं होती थी| बेचारा परेशान था|

 

एक दिन वह गर्मी के मौसम में अपने खेत पर पेड़ की छाया में बैठा था कि देखता क्या है कि एक बिल में से सांप निकला और फन उठाकर खड़ा हो गया|

 

अचानक ब्राह्मण को विचार आया, हो-न-हो इस सांप के कारण ही मेरी खेती बिगड़ जाती है| मुझे इसकी सेवा करनी चाहिए|

 

यह सोचकर वह कहीं से दूध लाया और उसे एक बर्तन में डालकर बिल के पास रख आया|

 

अगले दिन जब वह वहां गया तो देखा, बर्तन में दूध नहीं है और उसमें एक सोने की मुहर पड़ी है|

 

उसे बड़ा हर्ष हुआ| उस दिन से वह रोज बर्तन में दूध लेकर जाता और बिल पर रख आता और अगले दिन उसे सोने की एक मुहर मिल जाती|

 

संयोग से उसे एक दिन कहीं बाहर जाना था| वह बड़ी दुविधा में पड़ गया कि सांप को दूध कौन देगा? बहुत सोचकर उसने अपने लड़के से चर्चा की और दूध रख आने को कहा|

 

लड़के ने वैसा ही किया| जब उसने दूध के बर्तन में मुहर देखी तो उसने सोचा कि जरूर ही यहां धरती में बहुत-सी मुहरें भरी-पड़ी हैं| उन्हीं में से यह सांप रोज एक मुहर ले आता है| सांप को मरकर सारी मुहरों को ले लेना चाहिए|

 

यह सोचकर वह दूसरे दिन जब दूध लेकर गया तो वहीं ठहर गया| थोड़ी देर में सांप बाहर निकल आया तो उसने बड़े जोर से उसको डंडा मारा, लेकिन निशाना चूक गया| डंडा उसको लगा नहीं और सांप ने उछलकर उसे काट लिया| थोड़ी ही देर में लड़का मर गया|

 

जब उसका बाप लौटकर आया और उसने बेटे की करनी और मृत्यु का समाचार सुना तो उसे बड़ा दुख हुआ, पर उसने कहा – जो जैसा करता है, उसे वैसा ही फल मिलता है|

 

 

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