Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Dheeraj Aur Shanti Ka matav” , “धीरज और शांति का महत्त्व” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

धीरज और शांति का महत्त्व

Dheeraj Aur Shanti Ka matav

 

 

एक दिन भगवान बुद्ध कहीं जा रहे थे| उनका शिष्य आनंद भी साथ था| वे पैदल चलते-चलते बहुत दूर निकल गए| ज्यादा चलने के कारण वे थक गए थे| रास्ते में आराम करने के लिए वे एक पेड़ के नीचे रुक गए| भगवान बुद्ध को बहुत जोर की प्यास लगी| उन्होंने अपने शिष्य आनंद को पानी लाने के लिए कहा|

 

पास में ही एक नाला बहता था शिष्य आनंद वहां गया और थोड़ी देर में खाली हाथ लौट आया और बोला – भंते उस नाले में से अभी-अभी गाड़ियां निकली हैं| गाड़ियां निकलने के कारण पानी गंदा हो गया है और वह पानी पीने योग्य नहीं है| मैं अभी जाकर नदी से पानी लेकर आता हूं|

 

नदी वहां से कुछ दूर थी| बुद्ध ने कहा – नहीं, पानी नाले से ही लाओ|

 

आनंद गया, पर पानी अब भी गंदला था| वह लौट आया| बोला – नदी दूर है तो क्या, मैं अभी दौड़कर पानी लेकर आता हूं|

 

बुद्ध ने कहा – नहीं-नहीं पानी उस नाले से ही लाओ|

 

बेचारा आनंद लाचार होकर तीसरी बार नाले पर गया तो देखता क्या है, कीचड़ नीचे जम गई है, पत्तियां इधर-उधर हो गई हैं| पानी एकदम निर्मल है वह खुशी-खुशी पानी लेकर बुद्ध के पास आ गया|

 

बुद्ध ने कहा – आनंद आदमी के लिए धीरज और शांति बहुत आवश्यक हैं बिना उसके निर्मलता प्राप्त नहीं होती|

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.