Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Fakeer ne chita ki rakh sunghkar diya goodh Sandesh” , “फकीर ने चिता की राख सूंघकर दिया गूढ़ संदेश” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

फकीर ने चिता की राख सूंघकर दिया गूढ़ संदेश

Fakeer ne chita ki rakh sunghkar diya goodh Sandesh

 

 

एक फकीर श्मशान में बैठा था। थोड़ी देर बाद वहां दो अलग-अलग समूहों में कुछ लोग मृत देह लेकर आए और चिता सजाकर उन्हें अग्नि को समर्पित कर दिया। जब चिताएं ठंडी हो गईं तो लोग वहां से चले गए। तब वह फकीर उठा और अपने हाथों में दोनों चिताओं की राख लेकर बारी-बारी से उन्हें सूंघने लगा। लोगों ने आश्चर्य से उसके इस कृत्य को देखा और उसे विक्षिप्त समझा। एक व्यक्ति से रहा नहीं गया।

 

वह फकीर के निकट गया और उससे पूछा- बाबा! ये चिता की राख मुट्ठियों में भरकर और इसे सूंघकर क्या पता लगा रहे हो? उस फकीर ने कहा- मैं गहरी छानबीन में लगा हूं। व्यक्ति ने प्रश्नवाचक मुद्रा में उसकी ओर देखा तो वह अपने दाहिने हाथ की मुट्ठी खोलकर उसकी राख को दिखाते हुए बोला- यह एक अमीर व्यक्ति की राख है जिसने जीवनभर बड़े सुख भोगे, दूध-घी, मेवे-मिष्ठान्न खाए।

 

फिर दूसरी मुट्ठी की राख दिखाते हुए फकीर ने कहा- यह एक ऐसे गरीब आदमी की राख है जो आजीवन कठोर परिश्रम करके भी रूखी-सूखी ही खा पाया। मैं इस छानबीन में हूं कि अमीर व गरीब की राख में बुनियादी फर्क क्या है, जिससे अमीरों को सम्मान और गरीबों को उपेक्षा मिलती है, पर मुझे तो दोनों में कोई फर्क नजर नहीं आ रहा। साथ ही फकीर ने एक शेर पढ़ा- लाखों मुफलिस हो गए, लाखों तवंगर हो गए। खाक में जब मिल गए, दोनों बराबर हो गए।

 

सार यह है कि मृत्यु अटल सत्य है और उस वक्त सभी भौतिक वस्तुएं यहीं छूट जाती हैं। अत: अपने जीवनकाल में अमीर-गरीब के मध्य पक्षपातपूर्ण रवैया न अपनाते हुए समान रूप से स्नेहपूर्ण व्यवहार करना चाहिए।

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