Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Srishti ka Nirman” , “सृष्टि का निर्माण” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

सृष्टि का निर्माण

Srishti ka Nirman

 

 

उत्तराखंड में प्रचलित पौराणिक गाथा के अनुसार पृथ्वी में सर्वप्रथम निरंकार विद्यमान था। उनके द्वारा सोनी और जंबू गरुड़ की उत्पत्ति के पश्चात ही सृष्टि की रचना मानी गयी है। आइए जाने उत्तराखंड के लोगों के बीच, सृष्टि के निर्माण के बारे में कौन सी कहानी प्रचलित है।

 

सृष्टि के आरंभ में न धरती थी, न आकाश और न पानी था, बल्कि केवल निरंकार था। पार्वती जी ने एकाकीपन से ऊबकर संसार की रचना के लिए शिव जी से याचना की। निरंकार ने अपनी दाईं जाँघ मलकर मैल से गरुड़ी उत्पन्न की और बाईं जाँघ मलकर एक गरुड़।

 

गरुड़ी का नाम सोनी और गरुड़ का जंबू था। गुरु (शिव) को आश्चर्य हुआ कि मुझे तो मानव पैदा करने चाहिए थे। ये गरुड़ी, गरुड़ कैसे पैदा हो गए? गरुड़ ने यौवन-प्राप्ति पर गरुड़ी से विवाह का प्रस्ताव रखा। गरुड़ी ने उसको डाँटा और कहा-‘हम तो भाई-बहिन हैं और तुम देखने में भी भद्दे हो।’

 

गरुड़ रो पड़ा। उसे देखकर गरुड़ी का हृदय द्रवित हो उठा। उसने गरुड़ के नेत्रों से निकले आँसू पी लिए। फलतः वह गर्भवती हो गयी। गरुड़ दुःखी होकर कैलास छोड़कर कहीं दूर चला गया। गरुड़ी का गर्भ विकसित होता गया। वह गरुड़ को ढूँढने लगी।

 

गरुड़ मिला, किंतु गरुड़ी से रुठा रहा। अंत में अनुनय-विनय से मान गया। दोनों कैलास पर लौट आए। गरुड़ी को अंडा देने का कोई स्थान न मिला। वह बोली-‘मैं अंडा कहाँ दूँ?’ गरुड़ ने पंख पसार दिए।

 

गरुड़ी ने जैसे ही अंडा दिया, वह गिरकर फूट गया। नीचे के भाग से पृथ्वी और ऊपर के भाग से आकाश बना। अंडे की सफ़ेदी से समुद्र और जर्दी से ज़मीन। माना जाता है इस प्रकार निरंकार ने सृष्टि की रचना की।

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