Hindi Poem of Raskhan “  Ek aur kirit bse dusri disi, “इक और किरीट बसे दुसरी दिसि” Complete Poem for Class 10 and Class 12

इक और किरीट बसे दुसरी दिसि

 Ek aur kirit bse dusri disi

 

इक और किरीट बसे दुसरी दिसि लागन के गन गाजत री।

मुरली मधुरी धुनि अधिक ओठ पे अधिक नाद से बाजत री।

रसखानि पितंबर एक कंधा पर वघंबर राजत री।

कोड देखड संगम ले बुड़की निकस याह भेख सों छाजत री।

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.