Hindi Poem of Raskhan “ Sohat hai chandva sir mor ko, “सोहत है चँदवा सिर मोर को” Complete Poem for Class 10 and Class 12

सोहत है चँदवा सिर मोर को

Sohat hai chandva sir mor ko

 

सोहत है चँदवा सिर मोर को, तैसिय सुन्दर पाग कसी है।

तैसिय गोरज भाल विराजत, तैसी हिये बनमाल लसी है।

‘रसखानि’ बिलोकत बौरी भई, दृग, मूंदि कै ग्वालि पुकार हँसी है।

खोलि री घूंघट, खौलौं कहा, वह मूरति नैनन मांझ बसी है।

 

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