Hindi Essay on “Asahishnuta”, “असहिष्णुता” Hindi Essay for Class 9, Class 10, Class 12 and Graduation Classes Exams.

असहिष्णुता

Asahishnuta

                  असहिष्णुता वो स्थिति हैं जो किसी दूसरे धर्म, समुदाय के लोगों के विचारों, विश्वासों, मान्यताओं और प्रथाओं को मानने से इंकार करती हैं। समाज में बढ़ती असहिष्णुता किसी भी तरह इंकार करने की भावना पैदा करके विभिन्न समूहों को अलग होने के लिये बाध्य करती हैं। समाज में असहिष्णुता का सबसे अच्छा उदाहरण दक्षिण अफ्रीका में काले और सफेद दक्षिण अफ्रीका के बीच अलगाव है। इन दो समूहों के बीच बहुत अधिक सामाजिक दूरी हैं जो अंतर समूह असंतोष और दुश्मनी को जन्म देता है।

असहिष्णुता के बारे में

                  असहिष्णुता भयानक और अस्वीकृत गुण हैं जिसे समाज के उत्थान के लिये दबा देना चाहिये। यह विभिन्न समूह के लोगों को एक दूसरे के खिलाफ करके देश के विकास करने की क्षमता को नष्ट कर देता हैं। असहिष्णु समाज में रहने वाले लोग दूसरे समुदाय से सम्बंधित लोगो के विचारों, व्यवहारों, प्रथाओं और मान्यताओं के प्रति अपनी अस्वीकारता प्रदर्शित करने के लिये घातक हमला भी कर सकते हैं। असहिष्णुता धार्मिक, जातीय या अन्य किसी भी प्रकार की हो सकती हैं हालाँकि सभी तरह से राष्ट्र की वृद्धि और विकास में बाधा पहुँचाती हैं। ये लोगों की धार्मिक, सांस्कृतिक, परंपराओं, रीति-रिवाजों और लोगों के विचारों में मतभेद के कारण एक अन्तर्राष्ट्रीय समस्या हैं। ये लोगों या राष्ट्रों के बीच युद्ध का मुख्य कारण है। अच्छी शिक्षा पद्धति, सहिष्णुता का विकास और समझौते आदि के बेहतर प्रयोग से असहिष्णुता की समस्या को बहुत हद तक सुलझाया जा सकता हैं।

                  असहिष्णु लोग कभी भी किसी दूसरे को स्वीकार नहीं कर पाते जो प्राचीन काल से ही पूरे संसार में मुख्य मुद्दा रहा हैं। असहिष्णुता लोगों को एक-दूसरे (विभिन्न धर्म और जाति के लोग) के प्रति क्रोधी और हिंसक बनाती हैं। अच्छी शिक्षा पद्धति उन्हें असहिष्णुता को नियंत्रित करना सिखाती हैं। बच्चों के स्कूली जीवन से ही सहिष्णुता को व्यवहार में लाना सिखाया जाना चाहिये। उन्हें समाज में विविधता को स्वीकार करना भी सिखाना चाहिये।

असहिष्णुता के प्रभाव

                  असहिष्णुता लोगों, समाज और राष्ट्र की चिन्ता का विषय हैं क्योंकि ये विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच हिंसा को जन्म देता हैं। ये उन लोगों के लिये समाज से बहिष्कार का कारण बनता हैं जो विभिन्न समुदायों से संबंध रखते हैं जैसे, गैर-मुसलिम समुदाय में मुस्लमानों का बहिष्कार किया जाता हैं और इसके विपरीत भी। असहिष्णुता मनुष्य के दिमाग को संकीर्ण बनाती हैं और समाज व राष्ट्र के विकास के लिये आवश्यक सकारात्मक सुधारों को स्वीकार करने से रोकती हैं। ये बहुत ही उच्च स्तर की विनाशकारी शक्ति रखती हैं और जिस राष्ट्र में भी इसका अस्तित्व हैं उसके लिये बहुत भयानक हैं। इसलिये इसे किसी भी देश, समाज और समुदाय में बढ़ने से रोकना चाहिये।

असहिष्णुता के साथ समझौता कैसे करें?

                     लोगों के बीच सहिष्णुता को बढ़ावा देना चाहिये और असहिष्णुता को हतोत्साहित करना चाहिये। सहिष्णुता को कई प्रयोगों के द्वारा बढ़ावा देना चाहिये। अंतरंग अंतर समूह संपर्क एक दूसरे के निजी अनुभवों को बढ़ाता है और असहिष्णुता को कम करता है। अंतरंग अंतर समूह संपर्क को प्रभावी और उपयोगी बनाने के लिए जारी रखा जाना चाहिए। वार्ता तंत्र भी दोनों पक्षों पर संचार को बढ़ाने के लिए कारगर हो सकता है। ये उनकी जरूरतों और हितों को व्यक्त करने के लिए लोगों की मदद करता हैं। मीडिया को भी सांस्कृतिक संवेदनशीलता के प्रति सहिष्णुता और समझ को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक छवियों का चयन करना चाहिए। शिक्षा, समाज में सहिष्णुता और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए सबसे अच्छा तरीका है। छात्रों को स्कूल में सहिष्णु वातावरण प्रदान किया जाना चाहिए ताकि वो विभिन्न संस्कृतियों का सम्मान कर सके और उन्हें समझ सकें। छात्र सहिष्णु माहौल में बेहतर सांस्कृतिक समझ विकसित कर सकते हैं।

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