Hindi Poem of Geeta Chaturvedi “Samadhi“ , “समाधि” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

समाधि
Samadhi

 

सत्रह के नारे
सैंतालिस की त्रासदी
पचहत्तर की चुप्पियां
और नब्बे के उदार प्रहार
घूंघट काढ़े कुछ औरतें आती हैं
और मेरे आगे दिया बाल जाती हैं

गहरी नींद में डूबा एक समाज
जागने का स्वप्न देखते हुए
कुनमुनाता है

गरमी की दुपहरी बिजली कट गई है
एक विचारधारा पैताने बैठ
उसे पंखा झलती है

न नींद टूटती है न भरम टूटते हैं

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