Hindi Essay on “Nagriko ke adhikar aur kartavya”, “नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य” Hindi Essay for Class 9, Class 10, Class 12 and Graduation Classes Exams.

नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य

Nagriko ke adhikar aur kartavya

                  हम एक सामाजिक प्राणी है, समाज और देश में विकास, समृद्धि और शान्ति लाने के लिए हमारी बहुत सी जिम्मेदारियाँ है। अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए, भारत के संविधान के द्वारा हमें कुछ अधिकार दिए गए हैं। वैयक्तिक विकास और सामाजिक जीवन में सुधार के लिए नागरिकों को अधिकार देना बहुत ही आवश्यक है। देश की लोकतंत्र प्रणाली पूरी तरह से देश के नागरिकों की स्वतंत्रता पर आधारित होती है। संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों को मौलिक अधिकार कहा जाता है, जिन्हें हम से सामान्य समय में वापस नहीं लिया जा सकता है। हमारा संविधान हमें 6 मौलिक अधिकार प्रदान करता है:

                 स्वतंत्रता का अधिकार; यह बहुत ही महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है, जो लोगों को अपने विचारों को भाषणों के द्वारा , लिखने के द्वारा या अन्य साधनों के द्वारा प्रकट करने में सक्षम बनाता है। इस अधिकार के अनुसार, व्यक्ति समालोचना, आलोचना या सरकारी नीतियों के खिलाफ बोलने के लिए स्वतंत्र है। वह देश के किसी भी कोने में कोई भी व्यवसाय करने के लिए स्वतंत्र है।

धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार; देश में ऐसे कई राज्य हैं, जहाँ विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं। हम में से सभी अपनी पसंद के किसी भी धर्म को मानने, अभ्यास करने, प्रचार करने और अनुकरण करने के लिए स्वतंत्र हैं। कोई भी किसी के धार्मिक विश्वास में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं रखता है।

समानता का अधिकार; भारत में रहने वाले नागरिक समान है और अमीर व गरीब, उच्च-नीच में कोई भेदभाव और अन्तर नहीं है। किसी भी धर्म, जाति, जनजाति, स्थान का व्यक्ति किसी भी कार्यालय में उच्च पद को प्राप्त कर सकता है, वह केवल आवश्यक अहर्ताओं और योग्यताओं को रखता हो।

शिक्षा और संस्कृति का अधिकार; प्रत्येक बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है और वह बच्चा किसी भी संस्था में किसी भी स्तर तक शिक्षा प्राप्त कर सकता है।

शोषण के विरुद्ध अधिकार; कोई भी किसी को उसका/उसकी इच्छा के विरुद्ध या 14 साल से कम उम्र के बच्चे से, बिना किसी मजदूरी या वेतन के कार्य करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है।

संवैधानिक उपचारों का अधिकार; यह सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है। इस अधिकार को संविधान की आत्मा कहा जाता है, क्योंकि यह संविधान के सभी अधिकारों की रक्षा करता है। यदि किसी को किसी भी स्थिति में ऐसा महसूस होता है, कि उसके अधिकारों को हानि पँहुची है तो वह न्याय के लिए न्यायालय में जा सकता है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, अधिकार और कर्तव्य साथ-साथ चलते हैं। हमारे अधिकार बिना कर्तव्यों के अर्थहीन है, इस प्रकार दोनों ही प्रेरणादायक है। यदि हम देश को प्रगति के रास्ते पर आसानी से चलाने के लिए अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करते हैं, तो हमें अपने मौलिक अधिकारों के लाभ को प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है। देश का नागरिक होने के नाते हमारे कर्तव्य और जिम्मेदारियाँ निम्नलिखित है:

हमें अपने राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना चाहिए।

हमें देश के कानून का पालन और सम्मान करना चाहिए।

हमें अपने अधिकारों का आनंद दूसरों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप किए बिना लेना चाहिए।

हमें हमेशा आवश्यकता पड़ने पर अपने देश की रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए।

हमें राष्ट्रीय धरोहर और सार्वजनिक सम्पत्ति (रेलवे, डाकघर, पुल, रास्ते, स्कूलों, विश्व विद्यालयों, ऐतिहासिक इमारतों, स्थलों, वनों, जंगलों आदि) का सम्मान और रक्षा करनी चाहिए।

हमें अपने करों (टैक्स) का भुगतान समय पर सही तरीके से करना चाहिए।

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