Hindi Poem of Balkavi Beragi “ Shishuo ke liye kavitaye 2 ”,”शिशुओं के लिए कविताएँ-2” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

शिशुओं के लिए कविताएँ-2

 Shishuo ke liye kavitaye 2

सोचो-समझो और विचारो,

पेड़ों को पत्थर मत मारो ।

समझाता हमको विज्ञान,

उनमें भी होती है जान ।।

सबसे हँसकर मीठा बोलो,

हमें बड़ों ने यही सिखाया ।

यही अगर हम सीख सके तो,

समझो जीवन सफल बनाया ।।

चाट रही गैया बछड़े को,

पिला रही है अपना दूध ।

कूद रहा मस्ती से बछड़ा,

लम्बी, ऊँची, नीची कूद ।।

फ़ोन की घंटी ज्यों ही बजती,

दीदी कहती- चलो! चलो!

(पर) कुछ भी नहीं सुनाई पड़ता,

करते रहिए हलो! हलो!

नानी मेरी प्यारी नानी,

बातें करती बड़ी सयानी ।

मुझे कहानी रोज़ सुनाती,

मम्मी तक को डाँट पिलाती ।।

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