Hindi Panchtantra Short Story, Moral Story “Murakh Gadha”, ”मुर्ख गधा” Hindi Motivational Story for Primary Class, Class 9, Class 10 and Class 12

मुर्ख गधा

Murakh Gadha

 किसी जंगल में एक शेर रहता था। एक सियार उसका सेवक था। एक बार एक हाथी से शेर की लड़ाई हो गई। शेर बुरी तरह घायल हो गया। वह चलने-फिरने में भी असमर्थ हो गया। आहार न मिलने से सियार भी भूखा था।

शेर ने सियार से कहा-‘तुम जाओ और किसी पशु को खोजकर लाओ, जिसे मारकर हम अपने पेट भर सकें।’ सियार किसी जानवर की खोज करता हुआ एक गाँव में पहुँच गया। वहाँ उसने एक गधे को घास चरते हुए देखा। सियार गधे के पास गया और बोला-‘मामा, प्रणाम! बहुत दिनों बाद आपके दर्शन हुए हैं। आप इतने दुबले कैसे हो गए?’ गधा बोला-‘भाई, कुछ मत पूछो। मेरा स्वामी बड़ा कठोर है। वह पेटभर कर घास नहीं देता। इस धूल से सनी हुई घास खाकर पेट भरना पड़ता है।’ सियार ने कहा-‘मामा, उधर नदी के किनारे एक बहुत बड़ा घास का मैदान है। आप वहीं चलें और मेरे साथ आनंद से रहें।’गधे ने कहा-‘भाई, मैं तो गाँव का गधा हूँ। वहाँ जंगली जानवरों के साथ मैं कैसे रह सकूँगा?’ सियार बोला- ‘मामा, वह बड़ी सुरक्षित जगह है। वहाँ किसी का कोई डर नहीं है। तीन गधियाँ भी वहीं रहती हैं। वे भी एक धोबी के अत्याचारों से तंग होकर भाग आई हैं। उनका कोई पति भी नहीं है। आप उनके योग्य हो!’ चाहो तो उन तीनों के पति भी बन सकते हो। चलो तो सही।’सियार की बात सुनकर गधा लालच में आ गया। गधे को लेकर धूर्त सियार वहाँ पहुँचा, जहाँ शेर छिपा हुआ बैठा था। शेर ने पंजे से गधे पर प्रहार किया लेकिन गधे को चोट नहीं लगी और वह डरकर भाग खड़ा हुआ।

तब सियार ने नाराज होकर शेर से कहा-‘तुम एकदम निकम्मे हो गए! जब तुम एक गधे को नहीं मार सकते, तो हाथी से कैसे लड़ोगे?’ शेर झेंपता हुआ बोला-‘मैं उस समय तैयार नहीं था, इसीलिए चूक हो गई।’ सियार ने कहा-‘अच्छा, अब तुम पूरी तरह तैयार होकर बैठो, मैं उसे फिर से लेकर आता हूँ।’ वह फिर गधे के पास पहुँचा। गधे ने सियार को देखते ही कहा-‘तुम तो मुझे मौत के मुँह में ही ले गए थे। न जाने वह कौन-सा जानवर था। मैं बड़ी मुश्किल से जान बचाकर भागा!’सियार ने हँसते हुए कहा-‘अरे मामा, तुम उसे पहचान नहीं पाए। वह तो गधी थी। उसने तो प्रेम से तुम्हारा स्वागत करने के लिए हाथ बढ़ाया था। तुम तो बिल्कुल कायर निकले! और वह बेचारी तुम्हारे वियोग में खाना-पीना छोड़कर बैठी है। तुम्हें तो उसने अपना पति मान लिया है। अगर तुम नहीं चलोगे तो वह प्राण त्याग देगी।’गधा एक बार फिर सियार की बातों में आ गया और उसके साथ चल पड़ा। इस बार शेर नहीं चूका। उसने गधे को एक ही झपट्टे में मार दिया। भोजन करने से पहले शेर स्नान करने के लिए चला गया। इस बीच सियार ने उस गधे का दिल और दिमाग खा लिया।

शेर स्नान करके लौटा तो नाराज होकर बोला-‘ओ सियार के बच्चे! तूने मेरे भोजन को जूठा क्यों किया? तूने इसके हृदय और सर क्यों खा लिए ?’

धूर्त सियार गिड़गिड़ाता हुआ बोला-”महाराज, मैंने तो कुछ भी नहीं खाया है। इस गधे का दिल और दिमाग था ही नहीं, यदि इसके होते तो यह दोबारा मेरे साथ कैसे आ सकता था। शेर को सियार की बात पर विश्वास आ गया। वह शांत होकर भोजन करने में जुट गया।”

सबक: जो दिल और दिमाग से काम नहीं लेते है, वो हमेशा किसी का शिकार हो जाते है चाहे वो जानवर हो या फिर इंसान ।

 

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.