Akbar Birbal Hindi Story, Moral Story “Dadhi pakadne ki saja”, ”दाढ़ी पकड़ने की सजा” Hindi Motivational Story for Primary Class, Class 9, Class 10 and Class 12

दाढ़ी पकड़ने की सजा

 Dadhi pakadne ki saja

 

 बादशाह अकवर एक दिन दरबार में पधारे और सिंहासन पर विराजमान होते ही उन्होंने दरबारियों से कहा, ‘आज एक शख्स ने मेरी दाढ़ी खींची है। कहिए, मैं उसे क्या सजा दूं?

यह सुनकर सभी दरबारी हैरान हुए और सोचने लगे कि किसने ऐसी गुस्ताखी की?

आखिर किसकी मौत आई है जो ऐसी जुर्रत कर बैठा। वे परस्पर काना-फूसी करने लगे।

थोड़ी देर के बाद एक दरबारी बोला, – ‘जहांपनाह! जिसने ऐसा दुस्साहस किया है, उसका सिर धड़ से उड़ा दिया जाए।

दूसरे दरबारी ने कहा, ‘मेरी राय है जहांपनाह कि ऐसी गुस्ताखी करने वाले को हाथी के पैरों तले कुचलवा दिया जाए।’

किसी ने कहा – उस पर कोड़े बरसाएं जाएं,

– किसी ने कहा कि – उसे जिंदा दीवार में चिनवा दिया जाए। जितने दरबारी, उतनी तरह की बातें। तरह-तरह की सजाएं सुझाई गईं।

उनकी बातें सुन कर बादशाह ऊब गए। अंत में उन्होंने बीरबल से कहा, ‘बीरबल, तुम क्या कहते हो? हमारी दाढ़ी खींचने वाले को हमें क्या सजा देनी चाहिए?

बीरबल मंद-मंद मुस्कुराए और बोले- ‘जहांपनाह! आप उसे प्यार से मिठाई खिलाइए। इस अपराध की यही सजा है।’

बीरबल का उत्तर सुनकर सारे दरबारी चौंके और उस अंदाज में बीरबल का चेहरा देखने लगे, मानो वे पगला गए हों।

जबकि बीरबल के उत्तर से खुश होकर बादशाह ने कहा, ‘वाह-वाह! बीरबल, तुम्हारी बात बिल्कुल सही है।

लेकिन यह तो बताओ कि मेरी दाढ़ी किसने खींची होगी?’

बीरबल ने कहा,- ‘जहांपनाह! छोटे शाहजादे के अलावा ऐसी हिम्मत कौन कर सकता है? उसने तो प्यार से ही ऐसा किया होगा! इसलिए उसे सजा में मिठाई खिलानी चाहिए।

बीरबल की बात सही थी। आज सुबह शाहजादा बादशाह की गोद में बैठा था। खेलते-खेलते उसने बादशाह की दाढ़ी खींची थी। चतुर बीरबल के जवाब से बादशाह खुश हुए।

अन्य सभी दरबारियों, जो इतना भी नहीं सोच पाए कि बाहर का कोई शख्स भला बादशाह की दाढ़ी कैसे खींच सकता है, के सिर शर्म से झुक गए।

 

 

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