Ancient India History Notes on “Nagrik Avagya Andolan” History notes in Hindi for class 9, Class 10, Class 12 and Graduation Classes

नागरिक अवज्ञा आंदोलन

Nagrik Avagya Andolan

महात्‍मा गांधी ने नागरिक अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्‍व किया, जिसकी शुरूआत दिसंबर 1929 में कांग्रेस के सत्र के दौरान की गई थी। इस अभियान का लक्ष्‍य ब्रिटिश सरकार के आदेशों की संपूर्ण अवज्ञा करना था। इस आंदोलन के दौरान यह निर्णय लिया गया कि भारत 26 जनवरी को पूरे देश में स्‍वतंत्रता दिवस मनाएगा। अत: 26 जनवरी 1930 को पूरे देश में बैठकें आयोजित की गई और कांग्रेस ने तिरंगा लहराया। ब्रिटिश सरकार ने इस आंदोलन को दबाने की कोशिश की तथा इसके लिए लोगों को निर्दयतापूर्वक गोलियों से भून दिया गया, हजारों लोगों को मार डाला गया। गांधी जी और जवाहर लाल नेहरू के साथ कई हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया। परन्‍तु यह आंदोलन देश के चारों कोनों में फैल चुका था। इसके बाद ब्रिटिश सरकार द्वारा गोलमेज सम्‍मेलन आयोजित किया गया और गांधी जी ने द्वितीय गोलमेज सम्‍मेलन में लंदन में भाग लिया। परन्‍तु इस सम्‍मेलन का कोई नतीजा नहीं निकला और नागरिक अवज्ञा आंदोलन पुन: जीवित हो गया।

इस समय, विदेशी निरंकुश शासन के खिलाफ प्रदर्शन स्वरूप दिल्ली में सेंट्रल असेम्बली हॉल (अब लोकसभा) में बम फेंकने के आरोप में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को गिरफ्तार किया गया था। 23 मार्च 1931 को उन्हें फांसी की सजा दे दी गई।

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