Hindi Short Story, Moral Story “ Akal Bina nakal”, ”अक्ल बिना नकल” Hindi Motivational Story for Primary Class, Class 9, Class 10 and Class 12

अक्ल बिना नकल

 Akal Bina nakal

 

 एक देश में अकाल पड़ा। पानी की कमी से सारी फसलें मारी गईं। देशवासी अपने लिए एक वक्त की रोटी भी नहीं जुटा पाते थे। ऐसे समय कौवों को रोटी के टुकड़े मिलने बंद हो गए। वे जंगल की ओर उड़ चले।

 उनमें से एक कौवा-कौवी ने पेड़ पर अपना बसेरा कर लिया। उस पेड़ के नीचे एक तालाब था जिसमें जलकौवा रहता था। वह सारे दिन पानी में खड़े रहकर कभी मछलियां पकड़ता, कभी पानी की सतह पर पंख फैलाकर लहरों के साथ नाचता नजर आता।

 पेड़ पर बैठे कौए ने सोचा- मैं तो भूख से भटक रहा हूं और यह चार-चार मछलियां एकसाथ गटक कर आनंद में है। यदि इससे दोस्ती कर लूं तो मुझे मछलियां खाने को जरूर मिलेंगी।

 वह उड़कर तालाब के किनारे गया और शहद-सी मीठी बोली में कहने लगा- मित्र, तुम तो बहुत चुस्त-दुरुस्त हो। एक ही झटके में मछली को अपनी चोंच में फंसा लेते हो, मुझे भी यह कला सिखा दो।

 तुम सीखकर क्या करोगे? तुम्हें मछलियां ही तो खानी हैं। मैं तुम्हारे लिए पकड़ दिया करूंगा।

 उस दिन के बाद से जलकौवा ढेर सारी मछलियां पकड़ता, कुछ खुद खाता और कुछ अपने मित्र के लिए किनारे पर रख देता। कौवा उन्हें चोंच में दबाकर पेड़ पर जा बैठता और कौवी के साथ स्वाद ले लेकर खाता।

 कुछ दिनों के बाद उसने सोचा- मछली पकड़ने में है ही क्या! मैं भी पकड़ सकता हूं। जलकौवे की कृपा पर पलना ज्यादा ठीक नहीं।

 ऐसा मन में ठानकर वह पानी में उतरने लगा।

– अरे दोस्त! यह क्या कर रहे हो? तुम पानी में मत जाओ। तुम थल कौवा हो, जल कौवा नहीं। तुम जल में मछली पकड़ने के दांवपेंच नहीं जानते, मुसीबत में पड़ जाओगे।

 यह तुम नहीं, तुम्हारा अभिमान बोल रहा है। मैं अभी मछली पकड़कर दिखाता हूं। कौवे ने अकड़ कर कहा।

 कौवा छपाक से पानी में घुस गया, पर ऊपर न निकल सका। तालाब में काई जमी हुई थी। काई में छेद करने का उसे अनुभव न था। उस बेचारे ने उसमें छेद करने की को‍शिश भी की, ऊपर से थोड़ी-सी चोंच दिखाई दे रही थी, पर निकलने के लिए बड़ा-सा छेद होना था। नतीजतन उसका अंदर ही अंदर दम घुटने लगा और वह मर गया।

 कौवी कौवे को ढूंढती हुई जलकौवे के पास आई और अपने पति के बारे में पूछने लगी।

– बहन, कौवा मेरी नकल करता हुआ पानी में मछली पकड़ने उतर पड़ा और प्राणों से हाथ धो बैठा। उसने यह नहीं सोचा कि मैं जलवासी हूं और जमीन पर भी चल सकता हूं, पर वह केवल थलवासी है। मैंने उसे बहुत समझाया, पर उसने एक न सुनी।  

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.