Hindi Short Story, Moral Story “  Akal ka loha”, ”अक्ल का लोहा” Hindi Motivational Story for Primary Class, Class 9, Class 10 and Class 12

अक्ल का लोहा

 Akal ka loha

 

 अकबर-बीरबल निकले यात्रा पर ईरान, रुके वह वहां के नवाब के बनकर मेहमान। दो दिन रूके वह दोनों, खूब हुई खातिरदारी, फिर आई वापिस लौटने की बारी।

 नवाब ने बीरबल को जान चतुर सुजान, किया एक टेढ़ा-सा सवाल।

 उन्होंने पूछा- ‘मेरे एक सवाल का जवाब दोगे? अपने शहंशाह और मेरी तारीफ एक साथ कैसे करोगे?‘

बीरबल थोड़ा सोच में पड़ गए, फिर उनकी अकल के ताले खुल गए।

 बीरबल ने दिया जवाब, ‘आप दोनों ही चांद हैं जनाब। मेरे शहंशाह हैं चौथ का चांद तो आप हैं पूरा चांद!‘

जवाब सुनकर ईरान के नवाब बेहद खुश हो गए, लेकिन अकबर उस समय कुछ न बोले गुमसुम हो गए। रास्ते भर अकबर रहे बीरबल से बेहद खफा, उन्हें समझ में नहीं आ रहा था उसका फलसफा।

 अकबर की नाराजी को बीरबल ताड़ गए, क्यों हैं शहंशाह खफा, कारण भी जान गए।

 बोले- ‘महाराज आप कुछ सोच रहे हैं, मन ही मन मुझे कोस रहे हैं। पर मैं बताता हूं आपको सच, आपकी तरक्की के बारे में ही सोचता हूं मैं बस।

 उनको कहा मैंने पूरा चांद, जो धीर-धीरे घटने लगता है श्रीमान। पर आपको बताया चौथ का चांद जो हर रात बढ़ता है और बढ़ता है जिसका मान। आप तो बढ़ते ही जाएंगे और जगह-जगह अपना मकाम बनाएंगे।

 अब कहिए तो सही, मैंने कौन-सी गलत बात कही?‘

बीरबल की बात सुनकर अकबर मुस्कुरा दिए, एक बार फिर बीरबल की अक्ल का लोहा मान गए।

 

 

 

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