Hindi Short Story, Moral Story “  Chitrakari rachnatmak dhang soch ka”, ”चित्रकारी-रचनात्मक ढंग सोच का” Hindi Motivational Story for Primary Class, Class 9, Class 10 and Class 12

चित्रकारी-रचनात्मक ढंग सोच का

 Chitrakari rachnatmak dhang soch ka

 

 मीना की क्लास में आज बहिन जी चित्रकारी करवा रहीं हैं-रंगीन चार्ट पेपर पर। जिस पर बच्चों को मन पसंद पशु या पक्षी का चित्र बनाकर रंग भरना है।….और ये बने हुए चार्ट पेपर कक्षा की दीवारों पर लगा दिए जायेंगे।

 बहिन जी सभी बच्चों को एक-एक चार्ट पेपर देके प्रिंसिपल साहिबा के कमरे में चलीं गयीं। सभी बच्चे बहुत उत्साहित थे और आपस में बातें कर रहे थे…..

“मैं तो बन्दर का चित्र बनाऊंगा” दीपू बोला। सुमी ने कहा, ‘मैं तो चार्ट पेपर पर बनाउंगी…मोर।’

मीना सोच रही है कि किसका चित्र बनाये? सभी बच्चे उसे सुझाव देते हैं। मीना तय करती है कि वह ‘मुनमुन (दीपू की बकरी) और मिठ्ठू’ दोनों का चित्र बनायेगी- “मुनमुन घास खा रही होगी और मिठ्ठू होगा मुनमुन की पीठ पे।”

गोलू बनाएगा कुछ ख़ास, जो उसका चित्र देखने के बाद ही पता चलेगा।

 सभी बच्चों ने अपने-अपने चार्ट पेपर पे अलग-अलग पशुओं और पक्षियों के चित्र बनाये और उसमे रंग भरे। गोलू अभी भी सबसे पीछे बैठकर अपने चार्ट पेपर पर चित्र बना रहा था।

 गोलू मीना से रबड़ माँगने आता है। बच्चों में उत्सुकता है कि आखिर गोलू बना क्या रहा है?

मीना- अरे! गोलू तो पूरा चित्र ही मिटाने लगा।

 गोलू को पता नही क्या हुआ कि उसने अपना बनाया हुआ पूरा चित्र मिटा दिया? सब बच्चे ये देख के हैरान थे। बहिन जी भी वापस आ चुकी थी। उन्होंने ये देख के गोलू से कहा, ‘गोलू, तुमने अपना चित्र मिटा क्यों दिया?’

गोलू- बहिन जी, मैं चार्ट पेपर पे बड़ा सा हाथी का चित्र बनाना चाहता था लेकिन वो इस चार्ट में पूरा ही नहीं आ रहा। लगता है अब मुझे किसी छोटे पशु का चित्र बनाना होगा।

 बहिन जी- उदास मत हो गोलू, किसी भी समस्या का हल अगर रचनात्मक ढंग से सोचा जाए तो हल जरूर मिल जाता है।

 गोलू ने प्रश्न दागा, ‘रचनात्मक ढंग!’

बहिन जी- गोलू याद है वो प्यासा कौआ वाली कहानी, जब घड़े में थोडा सा पानी था और कौआ ने घड़े में तब तक कंकड़ डाले जब तक पाने ऊपर नही आ गया। इसे कहते है समस्या को रचनात्मक ढंग से सुलझाना यानी बिलकुल हटके सोचना।

 मीना सुझाव देती है, ‘ अगर गोलू चार अलग-अलग चार्ट पेपर ले और उन्हें किनारे से जोड के एक बड़ा सा चार्ट चार्ट पेपर बना ले तो फिर ये उसमे अपना हाथी आसानी से बना सकता है।’

गोलू-“मीना तुम्हारा सुझाव तो बहुत अच्छा है लेकिन जहाँ-जहाँ से आपस में जुड़ेंगे वहां निशाँ पड़ जायेंगे और चित्र अच्छा नहीं लगेगा।

 बहिन जी- ……बच्चों क्या तुम गोलू को कुछ सुझाव दे सकते हो?

सुमी- अगर गोलू एक बड़े हाथी का चित्र न बनाकर छोटे से, हाथी के बच्चे का चित्र बनाएं……।

तभी सरपंच जी दरवाजे पे दस्तक देते हैं।

 सरपंच जी-…मैं तुम सबको एक न्यौता देने आया हूँ।..आज दोपहर को नए बालबाड़ी केंद्र का उद्घाटन है गाँव में। तुम सब स्कूल की छुट्टी के बाद सीधे वहीं आया जाना।मैं तुम सबके माता-पिता को भी वहां आने का न्यौता दे आया हूँ।

 स्कूल की छुट्टी के बाद बहिन जी सब बच्चों को लेके नये बालबाड़ी केंद्र पहुँची। सब बच्चों के माता-पिता और सरपंच जी भी वहीँ थे। उद्घाटन के बाद मीना के माँ-बाबा, बहिन जी और सरपंच जी आपस में बात कर रहे थे। और थोड़ी दूरी पे खड़े थे मीना और गोलू…

गोलू- मीना, बालबाड़ी की दीवारें देख रहे हो। जरा सोचो अगर इन खाली दीवारों पे सुन्दर चित्रकारी के जाए तो।….बस मुझे एक सीढ़ी चाहिये होगी।….नीचे हरी भरी घास, पेड़ और तालाब का चित्र बनाउंगा।

 मीना और गोलू सरपंच जी के पास पहुंचे-

गोलू की सारी बातें सुनके सरपंच जी बोले, ‘वाह! गोलू बेटा, सुझाव तो बहुत अच्छा है लेकिन इतने बड़े चित्र बनाएगा कौन?

गोलू- मैं, अगर मुझे एक सीढ़ी मिल जाए तो मैं बालबाड़ी की दीवार पे बहुत सुन्दर चित्रकारी कर सकता हूँ।

 सरपंच जी बहिन जी से कहते है, ‘…मुझे ये देखकर बहुत खुशी हुई कि आपके विद्यार्थीयों की सोच इतनी अलग और नयी है।’

और फिर गोलू ने बालबाड़ी की दीवारों पे इतनी सुन्दर चित्रकारी की कि सब लोग बस देखते ही रह गये।  

 

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