Hindi Short Story, Moral Story “  Jal ki mithas”, ”जल की मिठास” Hindi Motivational Story for Primary Class, Class 9, Class 10 and Class 12

जल की मिठास

 Jal ki mithas

 

 गर्मियों के दिनों में एक शिष्य अपने गुरु से सप्ताह भर की छुट्टी लेकर अपने गांव जा रहा था। तब गांव पैदल ही जाना पड़ता था। जाते समय रास्ते में उसे एक कुआं दिखाई दिया।

 शिष्य प्यासा था, इसलिए उसने कुएं से पानी निकाला और अपना गला तर किया। शिष्य को अद्भुत तृप्ति मिली, क्योंकि कुएं का जल बेहद मीठा और ठंडा था।

 शिष्य ने सोचा – क्यों ना यहां का जल गुरुजी के लिए भी ले चलूं। उसने अपनी मशक भरी और वापस आश्रम की ओर चल पड़ा। वह आश्रम पहुंचा और गुरुजी को सारी बात बताई।

 गुरुजी ने शिष्य से मशक लेकर जल पिया और संतुष्टि महसूस की।

 उन्होंने शिष्य से कहा- वाकई जल तो गंगाजल के समान है। शिष्य को खुशी हुई। गुरुजी से इस तरह की प्रशंसा सुनकर शिष्य आज्ञा लेकर अपने गांव चला गया।

 कुछ ही देर में आश्रम में रहने वाला एक दूसरा शिष्य गुरुजी के पास पहुंचा और उसने भी वह जल पीने की इच्छा जताई। गुरुजी ने मशक शिष्य को दी। शिष्य ने जैसे ही घूंट भरा, उसने पानी बाहर कुल्ला कर दिया।

 शिष्य बोला- गुरुजी इस पानी में तो कड़वापन है और न ही यह जल शीतल है। आपने बेकार ही उस शिष्य की इतनी प्रशंसा की।

 कहानी की सीख –

दूसरों के मन को दुखी करने वाली बातों को टाला जा सकता है और हर बुराई में अच्छाई खोजी जा सकती है।

 गुरुजी बोले- बेटा, मिठास और शीतलता इस जल में नहीं है तो क्या हुआ। इसे लाने वाले के मन में तो है। जब उस शिष्य ने जल पिया होगा तो उसके मन में मेरे लिए प्रेम उमड़ा। यही बात महत्वपूर्ण है। मुझे भी इस मशक का जल तुम्हारी तरह ठीक नहीं लगा।

 पर मैं यह कहकर उसका मन दुखी करना नहीं चाहता था। हो सकता है जब जल मशक में भरा गया, तब वह शीतल हो और मशक के साफ न होने पर यहां तक आते-आते यह जल वैसा नहीं रहा, पर इससे लाने वाले के मन का प्रेम तो कम नहीं होता है ना।  

 

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.