Hindi Short Story, Moral Story “  Karj se ache khajur”, ”कर्ज से अच्छे खजूर” Hindi Motivational Story for Primary Class, Class 9, Class 10 and Class 12

कर्ज से अच्छे खजूर

 Karj se ache khajur

 

 एक स्कूल के छात्रों ने एक बार पिकनिक का प्रोग्राम बनाया। सभी बच्चे इसके लिए अपने घर से कुछ न कुछ खास खाने की चीज बनवाकर लाने वाले थे। स्कूल के स्टूडेंट्‍स में एक गरीब छात्र भी था। उसने घर आकर मां को सारी बात बताई।

 मां ने बताया कि घर में बनाने के लिए कोई खास चीज नहीं है। बालक दुखी हो गया।

 तभी मां ने कहा कि घर में कुछ खजूर रखे हैं तू उन्हें ले जा। कुछ देर बाद मां को लगा कि पिकनिक पर बाकी सभी बच्चे खाने-पीने की अच्छी चीजें लेकर आएंगे, ऐसे में बेटा खजूर ले जाएगा तो ठीक नहीं लगेगा।

 मां ने तुरंत बेटे से कहा कि तुम्हारे पिताजी आने वाले हैं। जैसे ही वे आएंगे, मैं बाजार से अच्‍छी चीज मंगवा लूंगी। बच्चा निराश होकर एक तरफ बैठ गया। थोड़ी देर बाद पिता घर आए। बेटे को उदास बैठा देखकर उन्होंने अपनी पत्नी से पूछा- क्या हुआ? और पत्नी ने उन्हें सारी बात बताई। पति-पत्नी देर तक आपस में विचार कर रहे थे।

 आंगन में बैठा बालक उन्हें देखता रहा, उसे दुख था कि उसके कारण उसके माता-पिता परेशानी में हैं। कुछ देर बाद बालक ने देखा कि उसके पिता चप्पल पहनकर बाहर जा रहे हैं।

 बालक ने पूछा- ‘पिताजी क्या जान सकता हूं कि आप कहां जा रहे हैं।

 पिता बोले- बेटा तेरी उदासी मुझसे देखी नहीं जाती, मैं अपने मित्र से कुछ पैसे उधार लेने जा रहा हूं, जिससे तू भी पिकनिक पर ‍अच्छी चीजें ले जा सकेगा।

 बालक ने जवाब दिया- नहीं पिताजी! उधार मांगना अच्‍छी बात नहीं है। मैं पिकनिक पर यह खजूर ही ले जाऊंगा। कर्ज लेकर शान दिखाना बुरी बात है।

 पिता ने पुत्र को सीने से लगा लिया। आगे जाकर यही बालक पंजाब के लाला लाजपतराय के नाम से विख्‍यात हुआ।  

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