Hindi Short Story, Moral Story “ Ladka Ladki ek saman”, ”लड़का लड़की एक समान” Hindi Motivational Story for Primary Class, Class 9, Class 10 and Class 12

लड़का लड़की एक समान

 Ladka Ladki ek saman

 

 मीना और रोशनी स्कूल जा रही हैं। 

मीना – रोशनी जल्दी चलो, आज बहिन जी विज्ञान का पाठ सुनेगी।

और स्कूल पहुँचकर पता चलता है कि बहिनजी को कुछ दिनों के लिए शहर जाना पड़ गया।  तब तक कक्षा में रजनी बहिनजी पढ़ायेंगी।

लड़कियां उदास हो जाती है क्योंकि रजनी बहिन जी तो लड़कियों को तो बात करने का मौका ही नहीं देती।

(रजनी बहिनजी कक्षा में आ जाती हैं)

रजनी बहिन जी – गोलू! आज कौन सा पाठ पढ़ना था?

रोशनी बीच में बोलती है लेकिन बहिन जी उसे चुप करा देती है।

रजनी बहिनजी – (मोनू से) धरती हमें और हर चीज को अपनी ओर खींचती है इस शक्ति को क्या कहते हैं?

मोनू- नहीं पता….

रौशनी फिर बोलना चाहती है लेकिन बहिनजी………

..

दीपू रोशनी से पूंछकर जबाब देता है –गुरुत्वाकर्षण

 सुमी सच्चाई बताना चाहती है लेकिन बहिन जी जानबूझकर उसे अनजान कर देती हैं।  …और सुमी को चुप करा देती हैं।

रजनी बहिन जी बताती है कि कल हमारे स्कूल में बेसिक शिक्षा अधिकारी महोदय आ रहे हैं, तो कल सब बच्चे साफ-सुथरे बनकर आयेंगे।  और जिस बच्चे की वर्दी, कापी किताबें अच्छी लगेंगी उस बच्चे को एक खास इनाम मिलेगा…….. हो सकता है कि BSA महोदय कुछ सवाल भी पूंछे ………. .दीपू, मोनू, गोलू, सुनील………….तुम सब अच्छी तरह से तैयारी करके आना।

मीना- रानों, सुमी,सलोनी, रोशनी और मैं भी तैयारी करक ……….

रजनी बहिन जी – कोई जरूरत नहीं।

अगले दिन रजनी बहिन जी ने सभी लड़कों से शिक्षा अधिकारी से मिलवाया।

BSA – (गोलू से)  26  जनवरी 1950  को क्या हुआ था?

गोलू- वो…. 26 जनवरी को हमारी छुट्टी होती है।

मोनू., दीपू., सुनील,  ……………..कोई भी जबाब नही दे पाया।

रोशनी जबाब के लिए हाँ करती है….लेकिन बहिन जी उसे चुप करा देती हैं,……… BSA बहिन जी को टोकते हुए रोशनी से जबाब पूंछते है।

रोशनी- 26 जनवरी 1950 को हमारे देश भारत का संविधान लागू हुआ था।

(बहिन जी रोशनी को बैठा देती हैं)

बहनजी – ( BSA से) अगला प्रश्न मोनू से पूंछिये।

BSA – (मोनू से) हमारे संविधान को बनाने में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका किसकी थी?

मोनू जबाब भूल गया।

मीना बोलना चाहती है……..

मीना- हमारे संविधान को बनाने में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका श्री भीमराव अम्बेडकर जी की थी।

BSA लड़कियों की तारीफ करते हैं।

रजनी बहिन जी जबाब देती है कि में ही कभी-कभी पढ़ाती हूँ तो होशियार तो होंगे ही।

BSA महोदय बहिन जी से एक प्रश्न पूंछते है कि मैंने एक बात देखी ……….आप लड़कियों को बोलने का मौका ही नही देती।

BSA रजनी बहिन जी को समझाते हैं कि लड़के हो या लड़कियां सब पढ़ने-लिखने का, खेलने-कूदने का, अपनी बात कहने का, हर काम करने का एक समान अधिकार है…….आप स्वयं को ही देखें।

रजनी बहिनजी को अपनी भूल का अहसास होता है। रोशनी और मीना को खास इनाम मिलता है।

  

 

 

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