Hindi Short Story, Moral Story “ Sajjan aur durjan”, ”सज्जन और दुर्जन” Hindi Motivational Story for Primary Class, Class 9, Class 10 and Class 12

सज्जन और दुर्जन

 Sajjan aur durjan

 

 यह मनुष्य का स्वाभाविक गुण है कि वह दूसरे लोगों में भी अपने अनुसार गुण अथवा दोष देख लेता है।

 एक बार गुरु द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर को पास बुलाकर कहा- ‘तुम राजधानी में जाकर पता लगाओ कि ऐसे कितने लोग हैं, जिन्हें दुर्जन की श्रेणी में रखा जा सकता है।‘

युधिष्ठिर ने कहा- ‘जो आज्ञा गुरुदेव।‘ इतना कहकर युधिष्ठिर ने प्रस्थान किया।

 थोड़ी ही देर में गुरुदेव ने आवाज लगाई- ‘दुर्योधन, ओ दुर्योधन।‘

दुर्योधन तुरंत उपस्थित हुआ और हाथ जोड़कर खड़ा हो गया तथा कहने लगा- ‘गुरुदेव, आपने मुझे पुकारा था, कहिए क्या आदेश हैं?‘

गुरुदेव ने कहा- ‘तुम राजधानी में जाकर मालूम करो कि सज्जन लोगों का प्रतिशत कितना है?‘

दुर्योधन भी सिर झुकाकर बोला- ‘जो आज्ञा गुरुदेव‘ और आदेश का पालन करने निकल पड़ा।

 दोनों राजपुत्र गुरु के बताए कार्य पर विस्तृत अध्ययन करके एक के बाद एक लौटे। पहले युधिष्ठिर ने आकर अपने आकलन का सार प्रस्तुत किया और बोले- ‘गुरुदेव! मुझे तो राजधानी में बहुत ढूंढने पर भी कोई दुर्जन व्यक्ति नहीं मिला।‘

गुरुदेव ने कहा- ‘अच्छा, तुम जाओ।‘ कुछ पलों के बाद दुर्योधन उपस्थित हुआ और गुरुदेव को प्रणाम करके बोला- ‘गुरुदेव! मैंने राजधानी में सज्जनों की गहन खोज-पड़ताल की, लेकिन ऐसा लगा कि यहां सज्जनों का अकाल पड़ गया है।‘

द्रोणाचार्यजी यह सुन कर मुस्कराए। फिर उन्होंने सभी राजपुत्रों के साथ युधिष्ठिर और दुर्योधन को बुलवाया। तत्पश्चात इन दोनों के निष्कर्षों की व्याख्या की।

 गुरुदेव ने कहा- ‘चूंकि युधिष्ठिर सज्जनता के अवतार हैं अतः उन्हें सदा सर्वदा सज्जन ही नजर आते हैं। यहां तक कि दुर्जन में भी सज्जन के गुण दिखाई देते हैं। उसी कारण उन्हें कोई दुर्जन व्यक्ति नहीं मिला।

 दूसरी ओर दुर्योधन को कोई सज्जन पुरुष नजर नहीं आया, क्योंकि उनकी रुचि सज्जनता में जरा भी नहीं है।‘

दुर्योधन ने तुरंत खड़े होकर कहा- ‘गुरुदेव मेरे बारे में आपका आकलन ठीक नहीं है, मुझे वास्तव में कोई भी सज्जन व्यक्ति नहीं मिला।‘ अब तो और भी स्पष्ट हो गया कि दुर्योधन की प्रवृत्ति कैसी है।

 गुरुदेव आगे बोले- ‘मुख्यतः बात यही है कि हम जैसे होते हैं, अंततः उसी को तलाश लेते हैं।  

 

 

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