Ancient India History Notes on “First Afghan War”, “पहला अफगान युद्ध” History notes in Hindi for class 9, Class 10, Class 12 and Graduation Classes

पहला अफगान युद्ध

First Afghan War

आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध को ‘अफ़ग़ान युद्ध’ भी कहा जाता है। इतिहास में तीन अफ़ग़ान युद्ध (1838-1842 ई., 1878-1880 ई., 1919 ई.) लड़े गये थे। भारत के पड़ोसी देश अफ़ग़ानिस्तान पर रूस का प्रभाव धीरे-धीरे बढ़ रहा था, और यह प्रभाव काफ़ी हद तक भारत के लिए ख़तरनाक सिद्ध हो सकता था। रूस के बढ़ते हुए प्रभाव को रोकने के लिए और अफ़ग़ानिस्तान को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने के उद्देश्य से अंग्रेज़ों ने अफ़ग़ानों के विरुद्ध अपनी भारतीय चौकी से तीन बार हमले किए। पहले युद्ध में विजय उन्हें आसानी से मिल तो गई, लेकिन उस पर नियंत्रण बनाये रखना कठिन हो गया। दूसरे युद्ध में विजय के लिए अंग्रेज़ों को भारी क़ीमत चुकानी पड़ी। अंग्रेज़ अफ़ग़ानिस्तान पर स्थायी क़ब्ज़ा तो नहीं कर सके, लेकिन उन्होंने उसकी नीति पर नियंत्रण बनाये रखा। तृतीय और अंतिम युद्ध अफ़ग़ानिस्तान की करारी हार और ‘रावलपिण्डी की सन्धि’ (अगस्त, 1919 ई.) के साथ समाप्त हुआ। इसके पश्चात ही अफ़ग़ानिस्तान पूर्ण रूप से स्वतंत्र हो गया।

अफ़ग़ानिस्तान का भूतपूर्व अमीर शाहशुजा अंग्रेज़ों का पेंशनयाफ्ता होकर पंजाब के लुधियाना नगर में रहता था। उस समय रूस के गुप्त समर्धन से फ़ारस की सेना ने अफ़ग़ानिस्तान के सीमावर्ती नगर हेरात को घेर लिया। हेरात बहुत सामरिक महत्त्व का नगर माना जाता था और उसे ‘भारत का द्वार’ समझा जाता था। जब उस पर रूस की सहायता से फ़ारस ने क़ब्ज़ा कर लिया तो इंग्लैंड की सरकार ने उसे भारत के ब्रिटिश साम्राज्य के लिए ख़तरा माना। हालांकि उस समय फ़ारस और भारत के ब्रिटिश साम्राज्य के बीच में पंजाब में रणजीत सिंह और अफ़ग़ानिस्तान में दोस्त मुहम्मद का स्वतंत्र राज्य था।

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.