Ancient India History Notes on “Results of World War II” History notes in Hindi for class 9, Class 10, Class 12 and Graduation Classes

द्वितीय विश्व युद्ध के परिणाम

Results of World War II

हताहतों की संख्या और युद्ध अपराध

युद्ध के कुल हताहतों की संख्या के अनुमान भिन्न भिन्न हैं, लेकिन अधिकांश का मानना है कि लगभग ६ करोड़ लोग इस युद्ध में मारे गए थे, जिसमें लगभग २ करोड़ सैनिकऔर ४ करोड़ आम नागरिक थे. बहुत से नागरिकों की मृत्यु बीमारी, भुखमरी, नरसंहार, बमबारीऔर जानबूझकर कर किये गए नरसंहारकी वजह से हो गई.सोवियत संघ के लगभग 27 मिलियन लोग युद्ध के दौरान मारे गए थे, जो कि द्वितीय विश्व युद्ध के कुल हताहतों कि संख्या का लगभग आधा था. द्वितीय विश्व युद्ध के कुल हताहतों में लगभग 85 प्रतिशत मित्र राष्ट्रों (मुख्यतया सोवियत और चीनी) के थे और 15 प्रतिशत धुरी राष्ट्रों की तरफ के थे. एक अनुमान के अनुसार 1.2 करोड़ नागरिक नाजी यातना शिविरों में , 15 लाख बम से, 70 लाख यूरोप में अन्य कारणों से, 75 लाख चीन में अन्य कारणों से मारे गए थे. कुल हताहतों की संख्याओं में बहुत अंतर है, क्योंकि अधिकांश मौतों को प्रलेखित नहीं किया गया था.

इनमें से बहुत सी मौतें धुरीय कब्जित क्षेत्रों में घटित हुए जातिसंहार, और जर्मन तथाजापानी सेनाओं द्वारा किये गए युद्द अपराधों का परिणाम थीं.जर्मन अत्याचारों में से सबसे कुख्यात था होलोकॉस्ट, जर्मनी और उसके सहयोगियों द्वारा नियंत्रित प्रदेशों में यहूदियों का व्यवस्थित नरसंहार.नाजियों समूहों को भी लक्ष्य बनाया, जैसे की रोमा(जिनका पोराज्मोस में लक्ष्यीकरण किया गया), स्लाव, और समलैंगिक पुरुष, एक अनुमान के अनुसार पांच मिलियन से ज्यादा लोगों का खत्म किया गया. धुरी राष्ट्रों की तरफ झुकाव वाले क्रोएशिया के उस्तास शासन के निशाने पर मुख्यता सर्ब लोग थे. सबसे प्रसिद्द जापानी क्रूरता का उदहारण है नानकिंग नरसंहार, जिसमें लाखों की संख्या में चीनी नागरिकों का बलात्कार और हत्या की गयी थी. जापानी सेना ने लगभग 3 मिलियन से लेकर 10 मिलियन से अधिक नागरिकों की हत्या की जिनमे से अधिकांश चीनी थे. मित्सुयोशी हिमेता के अनुसार, जनरल यासुजी ओकमुरा द्वारा हेइपी और शांतुंग में कार्यान्वित सानको सकुसें के दौरान कम से कम 2.7 मिलियन लोग मारे गए.

जैविक और रासायनिक हथियारोंके धुरी राष्ट्र द्वारा सीमित उपयोग की भी जानकारी है. इतेलियन्स ने अबाइसीनिया की अपनी विजय के दौरान मस्टर्ड गैस का इस्तेमाल किया, जबकि जापान की शाही सेनाने उनके चीन पर आक्रमण और अधिकार करने के दौरान तथा सोवियत संघ के ख़िलाफ़ शुरुआती संघर्षमें ऐसे हथियारों की अनेकों किस्मों का इस्तेमाल किया था.  दोनों, जर्मन और जापानी दोनों ने इन हथियारों का परिक्षण नागरिकों के खिलाफ किया था और, कुछ मामलों में, युद्ध बंदियों के खिलाफ.

हालाँकि धुरी राष्ट्र के कई कृत्यों को विश्व के पहले अंतरराष्ट्रीय न्यायलय में पेशी करने के लिए लाया गया, मित्र राष्ट्रों के कृत्यों को नहीं लाया गया. मित्र राष्ट्रों का ऐसे कृत्यों के उदहारण में शामिल हैं, सोवियत संघ में जनसंख्या स्थानांतरण, सोवियत के जबरदस्ती वाले श्रनिक शिविर (गुलाग)गुलाग, संयुक्त राष्ट्र में जापानियों की नजरबंदी, ऑपरेशन कील्हौल, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनों का निष्कासन, पॉलिश नागरिकों का सोवितातों द्वारा नरसंहार, और दुश्मन क्षेत्र में नागरिकों के ऊपर बड़े पैमाने पर बमवर्षा, जिसमें टोकियो शामिल है और सबसे उल्लेखनीय है ड्रेस्डेन.

बड़ी संख्या में मौतें, यद्यपि आंशिक रूप से ही, परोक्ष रूप से युद्द के कारण ही हुईं, जैसे की 1943 का बंगाल का आकाल.

 

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