Ancient India History Notes on “War becomes global” History notes in Hindi for class 9, Class 10, Class 12 and Graduation Classes

युद्ध वैश्विक हो जाता है

War becomes global

22 जून, 1941 को जर्मनी ने अन्य यूरोपियन धुरी राष्ट्र सदस्यों और फिनलैंड के साथ मिल कर, ऑपरेशन बार्बोसा के तहत सोवियत संघ पर आक्रमण कर दिया. इस अकस्मात् चढाई के प्राथमिक लक्ष्य बाल्टिक क्षेत्र, मॉस्को और युक्रेन थे. जबकि कैस्पियन और श्वेत सागर को जोड़ने वाली ए-ए रेखा के निकट इस 1941 के अभियान को समाप्त करना इसका अंतिम लक्ष्य था.हिटलर के उद्देश्य थे सोवियत संघ को एक सैन्य शक्ति के रूप में समाप्त करना, साम्यवाद का विनाश, स्थानीय लोगों. से छीन कर एक ‘रहने के स्थान’ का निर्माण करना और जर्मनी के बचे हुए शत्रुओं का विनाश करने के लिए सामरिक संसाधनों की उपलब्धता के प्रति आश्वस्त होना. हालाँकि युद्ध से पहले लाल सेना रणनीतिक जवाबी हमले की तैयारी कर रही थी बार्बोसा ने सोवियत की सर्वोच्च कमान को रणनीतिक सुरक्षा अपनाने के लिए मजबूर कर दिया. गर्मियों के दौरान, धुरी राष्ट्रों ने सोवियत क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण सफलताएँ अर्जित कीं, वस्तुओं और लोगों को भारी क्षति पहुंचाई.हालांकि, अगस्त के मध्य तक, जर्मन सेना हाई कमान ने क्षतिग्रस्त सेना समूह केंद्र के आक्रमण को स्थगित करने का फैसला कर लिया, और द्वितीय पान्जेर समूह को सेन्ट्रल युक्रेन और लेनिनग्राड की तरफ बढ़ रही सेना को मजबूती प्रदान करने के लिए उनकी तरफ मोड़ दिया. कीव का आक्रमण अत्यंत सफल रहा, परिणामतः चार सोवियत सेनाओं का घेर कर सफाया कर दिया गया, और क्रीमिया और औधोगिक रूप से विकसित पूर्वी युक्रेन (खार्कोव की प्रथम लडाई) में और आगे बढ़ने को संभव बना दिया.

धुरी राष्ट्र सेनाओं के तीन चौथाई हिस्से को सेंट्रल भूमध्य और फ्रांस से हटाकर पूर्वी मोर्चे पर भेजने के फैसले, ने ब्रिटेन को अपनी ग्रैंड रणनीति पर पुनर्विचार करने पर बाध्य किया. जुलाई में, ब्रिटेन और सोवियत संघ ने जर्मनी के ख़िलाफ़ एक सैन्य गठबंधन का गठन किया और कुछ ही समय के बाद संयुक्त रूप से फारसी गलियारे और ईरान के तेल क्षेत्रों को सुरक्षित करने के लिए ईरान पर हमला किया. अगस्त में, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका ने संयुक्त रूप से अटलांटिक घोषणापत्र जारी किया. नवम्बर में, राष्ट्रमंडल बलों ने एक जवाबी हमला किया, ऑपरेशन क्रूसेडर, उत्तरी अफ्रीका में, और जर्मनी और इटली द्वारा जीते गए सभी हिस्सों को वापस छुडा लिया.

जापान ने पिछले वर्ष दक्षिणी इंडोचायना पर सैन्य कब्जा किया था, इसका एक कारण आपूर्ति मार्गों को अवरुद्ध करके चीन पर दबाव बढ़ाना था, और इसलिए भी ताकि पश्चिमी शक्तियों से युद्ध की स्थिति में जापानी सेनाओं को बेहतर स्थिति में रखा जा सके.जापान, यूरोप में जर्मनी की सफलता का फायदा उठाने की उम्मीद से, डच ईस्ट इंडीज के तेल की एक स्थिर आपूर्ति सहित कई मांगें रखता है;हालाँकि ये प्रयास जून 1941 में विफल हो गए. अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य पश्चिमी सरकारों ने जापान के इन्दोचाइना पर कब्जे का विरोध जापानी परिसंपत्तियों पर रोक के साथ किया. जबकि अमेरिका ने (जो की जापान के तेल की 80% आपूर्ति करता था). ने उसपर पूर्ण तेल निषेध थोप कर इसका जवाब दिया. चीन के विरुद्ध अपने अभियान को और एशिया में अपनी महत्वाकांक्षा को छोड़ देना, या फिर जिन प्राकृतिक संसाधनों की उसको जरुरत थी उनपर बल पूर्वक कब्जा करना- मूलतः जापान को इन दोनों में से किसी एक का चुनाव करने के लिए बाध्य होना पड़ा; जापानी सेना पहले वाले को एक विकल्प के तौर पर नहीं मानती थी, और कई अधिकारी उन पर थोपे गए तेल घाटबंधी को एक अघोषित युद्ध की तरह मानते थे. सेंट्रल प्रशांत तक विस्तृत एक बड़ी सुरक्षात्मक परिधि बनाने के लिए, जापानी इम्पीरियल जनरल मुख्यालय ने एशिया में यूरोपीय कालोनियों पर तेजी से कब्जा करने की रणनीति बनायीं; इस प्रकार जापानी दक्षिण पूर्व एशिया के संसाधनों का दोहन करने के लिए स्वतंत्र रहते, जबकि घटी हुई शक्ति वाले मित्र राष्ट्रों को एक सुरक्षात्मक लडाई के द्वारा थका दिया जाता. परिधि को सुरक्षा प्रदान करते समय अमेरिकी हस्तक्षेप को रोकने के लिए, शुरुआत से ही संयुक्त राज्य के पैसिफिक बेड़े को बेअसर करने की योजना बनायी गयी.

अक्तूबर तक, जब धुरी राष्ट्र के युक्रेन और बाल्टिक क्षेत्रों के लक्ष्यों की पूर्ति हो चुकी थी, केवल लेनिनग्राद और सेवास्तोपोलकी लडाई ही जारी थी, मॉस्को के खिलाफ एक बड़े आक्रमण का नवीकरण किया गया. दो महीने की भीषण लडाई के बाद, जर्मन सेना मॉस्को के लगभग बाहरी उपनगर तक पहुँच गयी, लेकिन वहा पर थकी हुई सेनाओं को अपना आक्रमण निलंबित करने के लिए मजबूर होना पड़ा. प्रभावशाली प्रादेशिक बढ़त के बावजूद, धुरिय अभियान अपने मुख्य उद्देश्यों को हासिल करने में असफल रहा: दो प्रमुख शहर सोवियत के ही पास रहे, सोवियत की विरोध की क्षमता ख़तम नहीं हुई, और सोवियत संघ अपनी सैन्य क्षमता के एक महत्वपूर्ण हिस्सा को बनाये रख सका. यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध के तूफानी हमले के चरण का समापन हो गया था.

दिसम्बर की शुरुआत तक, ताजे जुटाए गए भंडारों ने सोवियत को धुरिय सेनाओं के साथ संख्यात्मक समता प्राप्त करने में मदद की. इसने, और साथ ही साथ इस खुफिया जानकारीने कि सोवियत की पूर्व में कम से कम इतनी सेना मौजूद है जो की जापान की क्वान्तुंग सेना के हमले को रोक सकती है, ने सोवियत को 5 दिसम्बर को अपनी 1000 किमी कि सीमा पर एक विशाल जवाबी हमला करने और जर्मन सेना को 100-250 किमी पश्चिम की तरफ पीछे धकेलने की अनुमति प्रदान की.

दो दिन बाद, 7 दिसम्बर को (8 दिसंबर, एशियाई समय क्षेत्र के अनुसार), जापान ने ब्रिटिश, डच और अमेरिकी ठिकानों पर हमला किया और लगभग साथ ही साथ दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत सेंट्रल के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया.इनमे शामिल थे पर्ल हार्बर में अमेरिकी बेड़े पर हमला और थाईलैंड और मलाया में उतरना.

इन हमलों ने संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, अन्य पश्चिमी सहयोगियों और चीन (जो की पहले से ही द्वितीय चीन-जापान युद्धलड़ रहा था) को जापान पर औपचारिक रूप से युद्ध की घोषणा करने के लिए उकसाया.जर्मनी और त्रिपक्षीय संधि के अन्य सदस्यों ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर हमले की घोषणा के द्वारा प्रतिक्रिया व्यक्त की.जनवरी में, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, सोवियत संघ, चीन और बाईस छोटी अथवा निर्वासित सरकारों ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषणा जारी की जिसने अटलांटिक चार्टरकी पुष्टि कर दी. सोवियत संघ ने घोषणा पत्र का पालन नहीं किया, जापान के साथ एक तटस्थता समझौते को बनाये रखा  और खुद को स्वनिर्धारण के सिद्धांत से मुक्त कर लिया.

इस बीच, अप्रैल 1942 के अंत तक, जापान ने लगभग पूरी तरह से बर्मा, फिलीपींस, मलाया, डच ईस्ट इंडीज, सिंगापुर, और राबौल के एक महत्त्वपूर्ण ठिकाने पर कब्जा कर लिया था, इस दौरान उसने मित्र देशों की सेनाओं को गंभीर नुकसान पहुँचाया और बड़ी संख्या में बंदी बनाये. जापानी सेनाओं ने दक्षिण चीन सागर, जावा सागर और हिंद महासागर में भी नौसेना जीत हासिल की और मित्र राष्ट्रों के डार्विन, ऑस्ट्रेलिया स्थित नौसेना बेस पर बमबारी की.जापान के खिलाफ मित्र राष्ट्रों की एकमात्र सफलता जनवरी, 1942 की शुरुआत में आयी चान्ग्शू की विजय थी. तैयारी रहित विरोधियों के ऊपर मिली इन आसन विजयों से जापान का आत्म विश्वास कुछ ज्यादा की बढ़ गया, साथ ही साथ संसाधनों के मामले में भी तनाव आ गया.[तथ्य वांछित]

जर्मनी ने भी पहल को बनाये रखा. अमेरिकी नौसेना के संदिग्ध फैसलों से फायदा लेते हुए, जर्मन नौसेना ने अमेरिकी अटलांटिक तट पर महत्वपूर्ण संसाधनों को नष्ट कर दिया. भारी क्षति के बावजूद, यूरोपीय धुरी राष्ट्र के सदस्यों ने सेंट्रल और दक्षिणी रूस में सोवियत के एक विशाल हमले को रोक दिया, और पिछले वर्षों के दौरान प्राप्त हुए सभी प्रादेशिक लाभों को बचाए रखने में सफल रहे. उत्तरी अफ्रीका में, जर्मनी ने जनवरी में एक आक्रमण शुरू किया, और फरबरी की शुरुआत तक ब्रिटिशों को गजाला रेखा के अड्डों तक पीछे खदेड़ दिया,. इसके बाद युद्ध में एक अस्थायी विराम आया जिसका उपयोग जर्मनी ने आगामी हमलों की तैयारी के लिए किया.

 

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.