Indian Geography Notes on “Classification of crops in India”, “फसलों का वर्गीकरण” Geography notes in Hindi for class 9, Class 10, Class 12 and Graduation Classes

फसलों का वर्गीकरण

Classification of crops in India

(1) रबी की फसलें:-

– अक्टूबर से नवम्बर में बोयी जाती हैं ओर मार्च से अप्रैल तक काटी जाती हैं।

– रबी की फसलों को शीतोष्ण कटिबंधीय फसले कहते हैं। वे फसलें जिन्हें कम तापमान चाहिये शीतोष्ण कटिबंधीय कहलाती हैं। इन फसलों को ज्यादा पानी चाहियें।

गेहँ, जौं , मक्का, चना, सरसों, मेथी, राई, तारामीरा, ईसबगोल, जीरा.

(2) खरीफ की फसलें:-

– जून-जुलाई मं बोयी जाती हैं। सितम्बर से अक्टूबर तक कटाई हो जाती हैं।

– ये फसले गर्मी में बोयी जाती हैं। इसलियें ऐसी फसलों को उष्ण कटिबंधीय फसलें कहते हैं।

चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, जूट, मूंग, मोठ, मूंगफली, तम्बाकू, उड़द, कपास, रागी, लोबिया, चंवला, सोयाबीन.

(3) जायद की फसलें:-

– मार्च से अप्रैल के मध्य बोई जाती हैं एवं जुन-जुलाई में काटी जाती हैं। इसके अंतर्गत सब्जियां, मक्का, खरबूज, तरबूह, अरबी, तरककड़ी, भिंड़ी आदि आती हैं।

गेहूँ:-

– इस हेतु जलोढ़ मिट्टी सर्वोत्तम हैं, चीन के बाद भारत का उत्पादन में दूसरा स्थान हैं।

– यह चावल के बाद खाया जाने वाला मुख्य खाद्यान्न हैं। गेहूँ की कृषि भारत के कुल कृषि क्षेत्र का 10% भाग पर (कृषि योग्य भूमि का 10 %) तथा बोये गये भू-भाग का 13 % गेहूँ की पैदावार होती हैं।

– उत्पादक राज्य:- गेहूँ की खेती सिंचाई के द्वारा होती हैं। इसलिये गेहूँ उन्ही राज्यों में होगा, जहां सिंचाईं की सुविधा होती हैं।

– प्रथम स्थान उत्तरप्रदेश फिर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार का आता हैं। भारत में गेहूँ का कुल उत्पादन का 35% (या 1/3 भाग) उत्तर प्रदेश में होता हैं।

– आजादी के बाद उत्पादन में सर्वाधिक वृद्धि हुई। विशेषकर 1966 की हरित क्रांति के बाद से।

– भारत में गेहूँ का प्रति हैक्टरउत्पादन 2770 किग्रा प्रति हेक्टर हैं।

नोट:- रबी की फसलों को पलाव प्रणाली से बोया जाता हैं।

चावल:-

– उष्ण कटिबंधीय, खरीफ की फसल।

– भारत का मुख्य खाद्यान्न।

– देश में कुल बोयी गयी भूमि का 23% भू-भाग पर बुवाई।

– कुल खाद्यान्न की भूमि का 47 %।

– विश्व का कुल चावल क्षेत्र का 28% भारत में बुवाई। जबकि उत्पादन में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान।

– भारत में चावल की तीन फसलें हैं:-

(1) अमन:- शीतकालीन

(2) ओस:- शरदकालीन (जब ओस पड़ती हैं)

(3) बोरा:- ग्रीष्मकाल में

– भारत में अमन का उत्पादन सर्वाधिक होता हैं।

– उत्पादन राज्य:- पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, बिहार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, बासमती चावल का उत्पादन, उत्तरांचल, पश्चिम बंगाल के उत्तर में तथा उत्तर प्रदेश में।

गन्ना:-

– विश्व का 40% गन्ना भारत में उत्पादित। उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु दोनों में बोया जाता है। गन्ने की फसल तैयार होने में एक वर्षं का समय लगता हैं।

– गन्नें के लिये आर्द्र व नम जलवायु उपयुक्त रहती हैं। इसमें सिंचाई के लिये 200 सेमी. वर्षां चाहियें। इसमें आर्द्र जलवायु के कारण शर्करा की मात्रा में वृद्धि होती हैं।

– उत्पादन:- सर्वाधिक (उत्तर प्रदेश), महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक। (महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन सबसे ज्यादा)

– भारत गन्ना उत्पादन में प्रथम स्थान पर हैं। विश्व का 40% उत्पादन भारत में होता हैं।

चाय:-

– 1834 में अंग्रेजो के द्वारा प्रयोग के तौर पर चाय का उत्पादन किया गया जो वर्तमान में भारत की प्रमुख पेय फसले हैं। (चाय प्रमुख रूप से चीनी फसल हैं)। यह बागानी फसल हैं। जिसके लिये वर्षां 150-250 सेमी. तथा तापमान 25-30 सेमी. तक होना चाहियें।

– मिट्टी में गंधक, कैल्शियम से युक्त। पहाड़ी ढ़लानों में जहां पानी नहीं ठहरता हों तथा सूर्यं की किरणें सीधी नहीं पड़ती हों, चाय की खेती होती हैं।

– उत्पादन राज्य:- आसाम, ब्रहृमपुत्र नदी घाटी, सुरमा नदी घाटी, भारत की कुल चाय का 50% असम में उत्पादित। पश्चिम बंगाल में दार्जलिंग, कूच बिहार, जलपाईगुड़ी, उत्तरांचल में गड़वाल कुमायुं, नैनीताल,

अलमोड़ा। हिमाचल प्रदेशमें कुल्लू घाटी। दक्षिण में तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र। (दक्षिण में तमिलनाडु का पहला स्थान)।

– भारत का विश्व में पहला स्थान (उत्पादन में)।

– निर्यात में श्रीलंका का पहला स्थान।

– हरि चाय:- उत्तरांचल, पश्चिम बंगाल।

– सबसे अच्छी चाय:- असम की

कॉफी:-

– भारत में विश्व का 2% कॉफी उत्पादन होता हैं।

– विश्व में सर्वाधिक स्वादिष्ट कॉफी भारत में उत्पादित होती हैं।

– उत्पादक राज्य:- कर्नाटक का पहला स्थान, केरल, तमिलनाडु

– भारत में अरेबिका, रोबस्टा कॉफी की खेती होती हैं। 60% भाग पर अरेबिका होती हैं और शेष पर रोबस्टाहोती हैं।

– इसके लिये लेटेराइट व पहाड़ी मिट्टी उपयोगी।

– कॉफी के बीज:- कहवा।

कपास:-

– यह खरीफ की फसल हैं।

– इसके लियें काली मिट्टी सर्वाधिक उपयोगी।

– गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश में देश के 55ः उत्पादन।

– पाला, ओला रहित, दिन साफ, स्वच्छ आकाश, तेज चमकदार धूप, 50 से 100 सेमी. वर्षां।

– काली मिट्टी सर्वाधिक उपयोगी।

– इसे वाणिमा भी कहते हैं। क्योंकि यह वाणिज्यिक फसल कहते हैं।

– इसे ‘‘सफेद सोना’’ भी कहते हैं यह रेशेदार फसल हैं।

जूट:-

– रेशेदार फसल, खरीफ में बोयीं जाती हैं।

– इसके लिये 100-200 सेमी. वर्षां।

– दोमट (जलोढ़) मिट्टी।

– सर्वाधिक उत्पादन पश्चिम बंगाल में ;71ःद्ध।

– उड़ीसा, बिहार, आंध्र-प्रदेश, असम में।

– बोरीया, टाटे, रस्सी, कालीन, कपड़े तैयार कीये जाते हैं।

– पटसन, सनेही, रेशेदार फसले हैं वहीं उत्पादित होती हैं, जहां जूट उत्पादित होता हैं।

रबड़:-

– उष्ण कटिबंधीय बागानी फसल।

– लैटेराइट व पहाड़ी मिट्टी उपयोगी।

– केरल, तमिलनाडु, अंडमान निकोबार।

दालें:-

– सर्वाधिक प्रोटीन युक्त शाकाहारी भोजन।

– चना, अरहर, मटर, मूंग, मोठ, उड़द, राजमा, मसूर, लोबिया।

– दाल उत्पादन में राजस्थान का पहला स्थान, इसके अलावा उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश व आंध्र प्रदेश में भी उत्पादन होता हैं।

– भारत विश्व में प्रथम स्थान पर हैं।

– राजमा में उत्तरप्रदेश, उत्तरांचल, सोयाबीन मध्यप्रदेश में।

मक्का:-

– खरीफ की फसल

– उत्पादक राज्य:- मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, राजस्थान

– लाल मिट्टी उपयोगी।

– राजस्थान के दक्षिण (मेवाड़) का मुख्य खाद्यान्न।

जौ:-

– रबी की फसल

– उत्पादक राज्य:- उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा।

– मोटे अनाज की श्रेणी में आता हैं।

बाजरा:- राजस्थान का पहला स्थान।

सरसों, मेथी:- राजस्थान का पहला स्थान।

ईसबागोल, जीरा:- राजस्थान का पहला स्थान।

तिल:-

– खरीफ की फसल।

– राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश में उत्पादन होता हैं।

– राजस्थान का तिलहन उत्पादन में प्रथम स्थान है। तिल, राई, रायड़ा, तारामीरा, अरण्डी, सोयाबीन, सुरजमुखी, मूंगफली।

सुरजमुखी के तेल में राजस्थान का कोई स्थान नहीं। कर्नाटक का प्रथम स्थान हैं।

मैथी:-

– कोटा में सर्वाधिक होती हैं। सबसे सुंगधित मेथी (विश्व की सबसे सुंगधित मेथी)। कोटा से पीली मेथी निर्यात होती हैं।

– नोट:- भारत की कृषि जलवायु की दृष्टि से 15 भागों में बांटा गया हैं, इनका वर्गीकरण वर्षां, तापमान, मिट्टी आदि विशेषताओं के आधार पर किया गया हैं।

 

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