Hindi Short Story, Moral Story “  Budhiya aur kaddu”, ” बुढ़िया और कद्दू” Hindi Motivational Story for Primary Class, Class 9, Class 10 and Class 12

बुढ़िया और कद्दू

 Budhiya aur kaddu

 

 बहुत पुरानी कहानी है। एक गांव में एक बुढ़िया रहती थी। उसकी बेटी की शादी उसने दूसरे गांव में की थी। अपनी बेटी से मिले बुढ़िया को बहुत दिन हो गए। एक दिन उसने सोचा कि चलो बेटी से मिलने जाती हूं। यह बात मन में सोचकर बुढ़िया ने नए-नए कपड़े, मिठाइयां और थोड़ा-बहुत सामान लिया और चल दी अपनी बेटी के गांव की ओर।

 चलते-चलते उसके रास्ते में जंगल आया। उस समय तक रात होने को आई और अंधेरा भी घिरने लगा। तभी उसे सामने से आता हुआ बब्बर शेर दिखाई दिया। बुढ़िया को देख वह गुर्राया और बोला- बुढ़िया कहां जा रही हो? मैं तुम्हें खा जाऊंगा।

 बुढ़िया बोली- शेर दादा, शेर दादा तुम मुझे अभी मत खाओ। मैं अपनी बेटी के घर जा रही हूं। बेटी के घर जाऊंगी, खीर-पूड़ी खाऊंगी। मोटी-ताजी हो जाऊंगी फिर तू मुझे खाना।

 शेर ने कहा- ठीक है, वापसी में मिलना।

 फिर बुढ़िया आगे चल दी। आगे रास्ते में उसे चीता मिला। चीते ने बुढ़िया को रोका और वह बोला- ओ बुढ़िया कहां जा रही हो?

बुढ़िया बड़ी मीठी आवाज में बोली- बेटा, मैं अपनी बेटी के घर जा रही हूं। चीते ने कहा- अब तो तुम मेरे सामने हो और मैं तुम्हें खाने वाला हूं।

 बुढ़िया गिड़गिड़ाते हुए कहने लगी- तुम अभी मुझे खाओगे तो तुम्हें मजा नहीं आएगा। मैं अपनी बेटी के यहां जाऊंगी वहां पर खीर-पूड़ी खाऊंगी, मोटी-ताजी हो जाऊंगी, फिर तू मुझे खाना।

 चीते ने कहा- ठीक है, जब वापस आओगी तब मैं तुम्हें खाऊंगा।

 फिर बुढ़िया आगे बढ़ी। आगे उसे मिला भालू। भालू ने बुढ़िया से वैसे ही कहा जैसे शेर और चीते ने कहा था। बुढ़िया ने उसे भी वैसा ही जवाब देकर टाल दिया।

 सबेरा होने तक बुढ़िया अपनी बेटी के घर पहुंच गई। उसने रास्ते की सारी कहानी अपनी बेटी को सुनाई। बेटी ने कहा कि मां फिक्र मत करो। मैं सब संभाल लूंगी।

 बुढ़िया अपनी बेटी के यहां बड़े मजे में रही। चकाचका खाया-पिया, मोटी-ताजी हो गई। एक दिन बुढ़िया ने अपनी बेटी से कहा कि अब मैं अपने घर जाना चाहती हूं।

 बेटी ने कहा कि ठीक है। मैं तुम्हारे जाने का बंदोबस्त कर देती हूं।

 बेटी ने आंगन की बेल से कद्दू निकाला। उसे साफ किया। उसमें ढेर सारी लाल मिर्च का पावडर और ढेर सारा नमक भरा।

 फिर अपनी मां को समझाया कि देखो मां तुम्हें रास्ते में कोई भी मिले तुम उनसे बातें करना और फिर उनकी आंखों में ये नमक-मिर्च डालकर आगे बढ़ जाना। घबराना नहीं।

 बेटी ने भी अपनी मां को बहुत सारा सामान देकर विदा किया। बुढ़िया वापस अपने गांव की ओर चल दी। लौटने में फिर उसे जंगल से गुजरना पड़ा। पहले की तरह उसे भालू मिला।

 उसने बुढ़िया को देखा तो वह खुश हो गया। उसने देखा तो मन ही मन सोचा अरे ये बुढ़िया तो बड़ी मुटिया गई है।

 भालू ने कहा- बुढ़िया अब तो मैं तुम्हें खा सकता हूं?

बुढ़िया ने कहा- हां-हां क्यों नहीं खा सकते। आओ मुझे खा लो।

 ऐसा कहकर उसने भालू को पास बुलाया। भालू पास आया तो बुढ़िया ने अपनी गाड़ी में से नमक-मिर्च निकाली और उसकी आंखों में डाल दी।

 इतना करने के बाद उसने अपने कद्दू से कहा- चल मेरे कद्दू टुनूक-टुनूक। कद्दू अनोखा था, वह उसे लेकर बढ़ चला।

 बुढ़िया आगे बढ़ी फिर उसे चीता मिला। बुढ़िया को देखकर चीते की आंखों में चमक आ गई।

 चीता बोला- बुढ़िया तू तो बड़ी चंगी लग रही है। अब तो मैं तुम्हें जरूर खा जाऊंगा और मुझे बड़ी जोर की भूख लग रही है।

 बुढ़िया ने कहा- हां-हां चीते जी आप मुझे खा ही लीजिए। जैसे ही चीता आगे बढ़ा बुढ़िया ने झट से अपनी गाड़ी में से नमक-मिर्च निकाली और चीते की आंखों में डाल दी।

 चीता बेचारा अपनी आंखें ही मलता रह गया।

 बुढ़िया ने कहा- चल मेरे कद्दू टुनूक-टुनूक। आगे उसे शेर मिला।

 थोड़े आगे जाने पर बुढ़िया को फिर शेर मिला। उसने भी वही सवाल दोहराया।

 बुढ़िया और कद्दू ने उसके साथ भी ऐसी ही हरकत की। इस तरह बुढ़िया और उसकी बेटी की चालाकी ने उसे बचा लिया। वह सुरक्षित अपने घर पहुंच गई।  

 

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