Hindi Short Story, Moral Story “  Saat pariya aur murakh shekh chilli”, ” सात परियां और मूर्ख शेख चिल्ली” Hindi Motivational Story for Primary Class, Class 9, Class 10 and Class 12

सात परियां और मूर्ख शेख चिल्ली

 Saat pariya aur murakh shekh chilli

 

 शेख चिल्ली के किस्से मूर्खता और हंसी की बातों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। अगर कोश में ‘शेखचिल्ली‘ शब्द का अर्थ देखें तो उसमें लिखा है- ‘एक कल्पित मूर्ख जिसकी मूर्खता की अनेक कहानियां जन-साधारण में प्रसिद्ध हैं।

 गरीब शेख परिवार में जन्मा शेखचिल्ली धीरे-धीरे जवान हो गया। पढ़ा-लिखा तो था नहीं, अत: दिनभर कंचे खेलता।

 एक दिन मां ने कहा- ‘मियां कुछ काम धंधा करो। बस, शेखचिल्ली गांव से निकल पड़े काम की तलाश में।

 मां ने रास्ते के लिए सात रोटियां बनाकर दी थीं।

 शेखचिल्ली गांव से काफी दूर आ गए। एक कुआं दिखा तो वहां बैठ गए। सोचा रोटियां खा लूं।

 वह रोटी गिनते हुए कहने लगा- ‘एक खाऊं.. दो खाऊं.. तीन खाऊं या सातों खा जा जाऊं ?

उस कुएं में सात परियां रहती थीं। उन्होंने शेखचिल्ली की आवाज सुनी तो डर गईं। वे कुएं से बाहर आईं।

 उन्होंने कहा- ‘देखो, हमें मत खाना। हम तुम्हें यह घड़ा देते हैं। इससे जो मांगोगे यह देगा। शेखचिल्ली मान गया।

 वह रोटियां और घड़ा लेकर वापस आ गया। मां से सारी बात बताई।

 मां ने घड़े से खूब दौलत मांगी। वह मालामाल हो गई। फिर वह बाजार से बताशे लाई। उसने घर के छप्पर पर चढ़कर बताशे बरसाए और शेख चिल्ली से उन्हें लूटने को कहा।

 शेखचिल्ली ने खूब बताशे लूटे और खाएं। मुहल्ले वालों को ताज्जुब हुआ कि इसके पास इतनी दौलत कहां से आई।

 शेखचिल्ली ने कहा-‘हमारे पास एक घड़ा है। उससे जो मांगते हैं, देता है।

 मुहल्लेवालों ने उसकी मां से वह घड़ा दिखाने को कहा।

 मां ने कहा- ‘ये बकवास करता है। मेरे पास कोई ऐसा घड़ा नहीं है।

 शेखचिल्ली बोला- ‘क्यों, मैंने घड़ा दिया था न! उस दिन छप्पर से बताशे भी बरसे थे।

 मां ने मुहल्ले वालों से हंसकर कहा- ‘सुना आपने! भला छप्पर से कभी बताशे बरसते हैं। यह तो ऐसी मूर्खता की बातें करता ही रहता है।‘  

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