Pradhan Mantri Yojana “Namami Gange Pariyojana”, “नमामि गंगे परियोजना” How to apply, introduction of Yojana and benefits complete guide in Hindi

नमामि गंगे परियोजना

Namami Gange Pariyojana

नमामि गंगे परियोजना यह मूल रुप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम मिशन है। स्वच्छ गंगा परियोजना का आधिकारिक नाम एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन परियोजना या “नमामि गंगे” है। प्रधानमंत्री बनने से पहले ही मोदी ने गंगा की सफाई को बहुत समर्थन दिया था। उन्होंने वादा किया था कि वह यदि सत्ता में आए तो वो जल्द से जल्द यह परियोजना शुरु करेंगें।

अपने वादे के अनुसार उन्होंने प्रधानमंत्री बनते ही कुछ महीनों में यह परियोजना शुरु कर दी। इस परियोजना ने उन्हें लाभ भी देना शुरु कर दिया। इसका सबूत उनकी अमेरिका यात्रा में देखने को मिला जहां उन्हें क्लिंटन परिवार ने यह परियोजना शुरु करने पर बधाई दी। यह परियोजना तब खबरों में आई जब आरएसएस ने इसकी निगरानी करने का निर्णय लिया और साथ ही विभिन्न कर लाभ निवेश योजनाओं की घोषणा सरकार ने की।

वाराणसी और हरिद्वार से एक साथ नमामि गंगे परियोजना (Namami Gange Project) की 231 परियोजनाओं की शुरुआत हुई। हरिद्वार में जहां उमा भारती और नितिन गडकरी ने इस योजना की शुरुआत की तो वहीं वाराणसी में रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने इस योजना की शुरुआत की। इस योजना में गंगोत्री से शुरू कर बंगाल तक गंगा के किनारे घाटों, नलों का गंदा पानी , स्वच्छता आदि पर ध्यान दिया जाएगा।

केंद्रीय बजट 2014-15 में 2,037 करोड़ रुपयों की आरंभिक राशि के साथ नमामि गंगे नाम की एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन परियोजना शुरु की गई तब केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि अब तक इस नदी की सफाई और संरक्षण पर बहुत बड़ी राशि खर्च की गई है लेकिन गंगा नदी की हालत में कोई अंतर नहीं आया। इस परियोजना को शुरु करने का यह आधिकारिक कारण है। इसके अलावा कई सालों से अनुपचारित सीवेज और औद्योगिक अपशिष्ट को भारी मात्रा में नदी में छोड़े जाने के कारण नदी की खराब हालत को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता है। इसी उदेश्य से स्वच्छ गंगा परियोजना आरम्भ की गई।

कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार से पूछा था कि “स्वच्छ गंगा परियोजना (Namami Gange Project) कब पूरी होगी ?” सुप्रीम कोर्ट को जवाब में राष्ट्रीय प्रशासन ने कहा कि इस परियोजना को पूरा होने में 18 सालों का समय लगेगा। इस परियोजना की लंबाई और चैड़ाई को देखते हुए यह कोई असामान्य लक्ष्य नहीं है। यह परियोजना लगभग पूरे देश को कवर करती है क्योंकि यह पूरे उत्तर भारत के साथ उत्तर पश्चिम उत्तराखण्ड और पूर्व में पश्चिम बंगाल तक फैली है।

गौरतलब है कि गंगा की कुल लम्बाई 2525 किलोमीटर की है। गंगा का बेसिन 1. 6 मिलियन वर्ग किलोमीटर का है , 468. 7 बिलियन मीट्रिक पानी साल भर में प्रवाहित होता है जो देश के कुल जल श्रोत का 25. 2 प्रतिशत भाग है। इसके बेसिन में 45 करोड़ की आबादी बसती है। साथ ही गंगा पांच राज्यों से होकर गुजरती है। इसे राष्ट्रीय नदी भले ही घोषित किया गया हो पर यह राज्यों की मर्जी से ही बहती है। इसलिये इसके रास्ते में कई अड़चनें ज़रूर हैं। पर जिस गंगा एक्शन प्लान की शुरुआत 1986 में हुई। जिस पर अब तक करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं।

बाद में वर्ष 2009 में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की स्थापना भी गई जिसके चेयरमैन खुद प्रधानमंत्री हैं। इस परियोजना के लिए 2600 करोड़ रुपये वर्ल्ड बैंक से कर्ज ले कर कई योजनाओं की शुरुआत की गई। लेकिन गंगा का मामला जस का तस है। इसी प्राधिकरण ने भविष्य के लिए 7000 करोड़ के नए प्रोजेक्ट की रूपरेखा भी बना रखी है। बावजूद इसके गंगा की हालात वही है। अब एक बार फिर उसे 231 योजनाओं की सौगात मिली है लेकिन इसमें भी गंगा में पानी छोड़ने की कोई बात नहीं है। ऐसे में गंगा क्या बिना पानी के ठीक हो पाएगी यह देखने वाली बात होगी।

नमामि गंगे परियोजना (Namami Gange Project) का सबसे बड़ा मुद्दा नदी की लंबाई है। यह 2,500 किमी. की दूरी कवर करने के साथ ही 29 बड़े शहर, 48 कस्बे और 23 छोटे शहर कवर करती है। इससे अलावा नदी का भारी प्रदूषण स्तर और औद्योगिक इकाईयों का अपशिष्ट और कचरा और आम जनता के द्वारा डाला गया कचरा भी एक मुद्दा है।

नमामि गंगे परियोजना (Namami Gange Project) कई चरणों में पूरी होगी। इसकी सटीक जानकारी तो नहीं है पर यह समझा जा सकता है कि सहायक नदियों की सफाई भी इसकी एक प्रमुख गतिविधि होगी। अधिकारियों को उन शहरों का भी प्रबंधन करना होगा जहां से यह नदी गुजरती है और औद्योगिक इकाईयां अपना अपशिष्ट और कचरा इसमें डालती हैं। इस परियोजना का एक प्रमुख भाग पर्यटन का विकास करना है जिससे इस परियोजना हेतु धन जुटाया जा सके। अधिकारियों को इलाहाबाद से पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक एक चैनल भी विकसित करना होगा ताकि जल पर्यटन को बढ़ावा मिले।

नवम्बर 2014 में उमा भारती ने वाराणसी में एक बड़ा जलसा कर के कहा था कि ” गंगा का काम 3 साल में दिखने लगेगा और 48 दिनों में योजनाएं टेक आफ ले लेंगी। लेकिन दो साल गुजर गए जमीन पर गंगा सफाई को लेकर कुछ नजर नहीं आया। हां इस बीच कई मीटिंगों और योजनाओं पर काम करने की बात जरूर सामने आई थी। पर कोई ठोस योजना गंगा किनारे नहीं दिख रही थी। अब 2 साल बाद नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत 231 योजनाओं का शुभारम्भ हुआ है। जिसमे एक बार फिर उमा भारती 2018 तक जमीन पर दिखाई देने की बात कह रही हैं।

नमामि गंगे परियोजना (Namami Gange Project) की 231 योजनाओं में गंगोत्री से शुरू होकर हरिद्वार, कानपुर, इलाहाबद , बनारस , गाजीपुर , बलिया , बिहार में 4 और बंगाल में 6 जगहों पर पुराने घाटों का जीर्णोद्धार, नए घाट, चेंजिंग रूम, शौचालय, बैठने की जगह, सीवेज ट्रीटमेंट प्लान्ट, आक्सीडेशन प्लान्ट बायोरेमेडेशन प्रक्रिया से पानी के शोधन का काम किया जाएगा। इसमें गांव के नालों को भी शामिल किया गया है। साथ ही तालाबों का गंगा से जुड़ाव पर क्या असर होता है उसे भी देखा जाएगा।

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