Hindi Essay “Loktantrik Samajvad ke Pravritak Jawaharlal Nehru” Hindi Essay for Class 9, Class 10, Class 12 and other Classes Exams.

लोकतांत्रिक समाजवाद के प्रर्वतक जवाहरलाल नेहरु

Loktantrik Samajvad ke Pravritak Jawaharlal Nehru

 

उच्चकोटी के विचारक तथा लोकतांत्रिक समाजवाद के समर्थक जवाहरलाल नेहरु महान मानवतावादी थे। बच्चों के प्रिय चाचा नेहरु अपने देश में ही नही वरन सम्पूर्ण विश्व में सम्मानित और प्रशंशनीय राजनेता थे। मानव-मात्र का उत्थान,

कल्याण तथा उनका सुख एवं आंनद नेहरु जी के चिंतन की धुरी थे। उनका मानवीय दृष्टीकोंण ही था कि, वे गुलामी को मनुष्य पर होने वाला सबसे बङा अत्याचार मानते थे। स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु संघर्ष करने वाले देश उन्हे अपना सच्चा हमदर्द और मसीहा मानते थे। मानवीय गरिमा को उच्चतम शिखर तक पहुँचाने वाले नेहरु जी के बारे में मलेशिया के प्रधानमंत्री टुंकू अब्दुल्ल रहमान का कहना था कि, “नेहरु मेरी प्रेरणा के स्रोत थे।”

नेहरु जी को भारत से अगाध प्रेम था। उन्होने लिखा है कि, “हिन्दुस्तान मेरे खून में समाया हुआ है और उसमें बहुत कुछ ऐसी बातें हैं जो मुझे स्वभावतः प्रेरित करती हैं।” उन्होने अपनी पुस्तक भारत एक खोज में लिखा है, “किसी भी पराधीन देश के लिये राष्ट्रीय स्वतंत्रता प्रथम तथा प्रधान आकांक्षा होनी चाहिये।”

नेहरु जी समाजवादी समाज के प्रबल समर्थक थे, वे लोकतंत्र को एक शासन प्रणाली ही नही अपितु जीवन पद्धति मानते थे। राष्ट्रीय आनंदोलन के दौरान ही नेहरु जी ने बार-बार कहा था कि स्वतंत्र भारत लोकतांत्रिक भारत होगा। वे संसदीय लोकतंत्र को अधिक महत्व देते थे तथा आर्थिक एवं सामाजिक लोकतंत्र में विश्वास रखते थे। नेहरु जी के अनुसार, “शासन के अन्य प्रकारों की तुलना में लोकतंत्र जनता से अधिक उच्च प्रतिमानों की अपेक्षा करता है। यदि जनता उस मापदण्ड तक नही पहुँच पाई तो लोकतांत्रिक यन्त्र असफल हो जायेगा।”

नेहरु जी भारतीय समस्याओं का भारतीय समाधान चाहते थे। वास्तव में नेहरु जी लोकतांत्रिक समाजवाद के प्रवर्तक थे। गुटनिरपेक्षता के जनक जवाहरलाल नेहरु जी ने कहा था कि, “यह भारत के स्वाभीमान के विरुद्ध होगा कि भारत इनमें से किसी भी गुट का अनुयायी बने।” अतः भारत ने विश्व राजनीति के क्षेत्र में गुटनिरपेक्षता का मार्ग प्रतिपादित किया । नेहरु जी ने विश्व को गुट निरपेक्षता के द्वारा तनाव शैथिल्य वातावरण प्रदान किया तथा साथ ही निर्बल देशों को बल भी प्रदान किया।

एक राजनीतिक विचारक के रूप में श्री नेहरु जी के तीन मुख्य आदर्श थे- लेकतंत्र, समाजवाद और धर्म-निरपेक्षता। संविधान सभा के महत्वपूर्ण सदस्य के नाते नेहरु जी ने इस बात का आग्रह किया था कि, भारतीय संविधान द्वारा इस देश में धर्म-निरपेक्ष सरकार की स्थापना की जाये। परिणाम स्वरूप 42वें संशोधन के बाद भारतीय संविधान की प्रस्तावना में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भारत एक धर्म-निरपेक्ष राज्य है। यहाँ सभी धर्मों को अपने विचारों तथा प्रचार-प्रसार का अधिकार है।

पंचशील के प्रतिपादक नेहरु जी के अंर्तराष्ट्रीय चिन्तन और मानवतावादी दृष्टीकोंण का सर्वाधिक उज्जवल पक्ष ये था कि वे विश्वशान्ति में विश्वास रखते थे। नेहरु जी का मानना था कि युद्ध का विचार जंगली और असभ्यता का विचार है। एक बार उन्होने कहा था कि यदि हमने युद्ध को समाप्त नही किया तो युद्ध हमें समाप्त कर देगा।

श्रीमति सुचेता कृपलानी ने नेहरु जी के बारे में कहा था कि, “नेहरु जी का जीवन बहुमुखी रहा है। वह एक कुशल राजनेता, अनुभवी राजनयिक, अथक योद्धा और प्रभावशाली लेखक थे। सबसे अधिक वे मानवता के पुजारी थे।”

मिस्र के राष्ट्रपति नासीर ने कहा था कि, “नेहरु जी की जिंदगी एक मशाल की तरह थी, जिससे हिन्दुस्तान, एशिया और दुनिया को रौशनी मिलती थी।”

आधुनिक भारत के महान राजनितिज्ञों में श्री नेहरु जी का नाम शिखर पर है। उनके द्वारा लिखी पुस्तकों, ‘भारत एक खोज’, ‘मेरी कहानी’ तथा ‘विश्व इतिहास की झलक’ उन्हे महान लेखक और चिंतक परिलाक्षित करती हैं।

मानवतावादी तथा लोकतांत्रिक समाजवाद के प्रर्वतक जवाहरलाल नेहरु जी की 125वीं जयंती पर हम उन्हें शत् शत् नमन करते हैं।

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