Hindi Essay “Netraheen logo ke jeevan me prakash bikherati Anita Sharma” Hindi Essay for Class 9, Class 10, Class 12 and other Classes Exams.

नेत्रहीन लोगों के जीवन में प्रकाश बिखेरती अनीता शर्मा

Netraheen logo ke jeevan me prakash bikherati Anita Sharma

सन 1964 में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी अनीता जी को बचपन से ही एक शैक्षणिक माहौल मिला। माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य अकसर ही किसी न किसी सामाजिक कार्य में लगे रहते, अतः लोगों की सेवा करने का बीज प्रारम्भ से ही उनके अन्दर था। और इस बीज को एक वृक्ष में विकसित करने में स्वामी विवेकानंद के साहित्य ने खाद-पानी का काम किया। सौभाग्य से शादी के बाद भी उन्हें पति का सहयोग मिलता रहा और वह अपने सामाजिक कार्यों को जारी रख पायीं, वो जिस शहर में भी रहीं वहां के अनाथ व वृद्धाश्रमों में जाती रहीं और लोगों को शिक्षित करने की दिशा में कार्य किया।

कुछ ऐसा ही काम वो 2011 में इंदौर शहर में कर रही थीं, तभी उनकी मुलाक़ात एक म्यूजिक टीचर से हुई। टीचर ने उनसे कुछ ब्लाइंड लड़कियों को पढ़ाने की रिक्वेस्ट की।

अगले ही दिन अनीता जी महेश दृष्टीहीन संघ पहुँच गयीं, वहाँ ब्लाइंड लड़कियों को पढ़ाना उन्हें इतना अच्छा लगा कि हर दुसरे दिन वहां जाने लगीं।

अनीता जी ने महसूस किया जहाँ एक तरफ ये लड़कियां जी-जान से मेहनत कर अपनी ज़िदगी में कुछ करना चाहती हैं वहीं दूसरी ओर समाज ऐसे लोगों के प्रति बिलकुल उदासीन है। उनका कोमल हृदय द्रवित हो उठा और तभी उन्होंने निश्चय कर लिया कि अपना जीवन दृष्टिबाधित लोगों की सेवा में अर्पित कर देंगी।

अनीता जी ने दृष्टीबाधित बालिकाओं को रेगुलरली पढ़ाना शुरू कर दिया और फिर धीरे-धीरे वह उनकी पाठ्य सामग्री को अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड भी करने लगीं। रिकॉर्डिंग से ब्लाइंड बच्चों को शिक्षा में काफी मदद मिलने लगी और वर्ड ऑफ़ माउथ से बहुत से बच्चे इस बारे में जान गए। जिसका परिणाम ये हुआ कि न सिर्फ इंदौर और आस-पास के क्षेत्रों से बल्कि पूरे भारत से द्दृष्टिहीन बच्चे उनसे कांटेक्ट करने लगे और अपने-अपने पाठ्यक्रम रिकॉर्ड कराने लगे।

अनीता जी चाहती तो रिकॉर्डिंग करने और पढ़ाने के लिए पैसे ले सकती थीं पर ये सब कुछ करने के लिए उन्होंने कभी भी पैसे नहीं लिए बल्कि अपने पैसे लगाकर लोगों की मदद की। यहाँ तक की उनके पास रेडियो जॉकी बनने और मूवीज में डबिंग करने का भी lucrative career option था लेकिन उन्होंने अपनी आवाज़ जिंदगियां रौशन करने में लगाना उचित समझा और बिना किसी आर्थिक लाभ के बच्चों के लिए रिकॉर्डिंग करती रहीं।

जब आप निश्छल मन से लगातार जन सेवा में लगे होते हैं तो समाज का ध्यान आपकी ओर ज़रुर जाता है।

भारत के पहले दृष्टीबाधित कमिशनर, श्री पी के पिंचा  अनीता जी के काम से इतने प्रभावित हुए कि खुद उन्होंने पर्सनली कॉल कर के एप्रिशिएट किया।

दिल्ली की एक संस्था आई वे का भी ध्यान उनके काम पर गया और संस्था ने उनका इंटरव्यु “रौशनी का कारवां” नामक प्रोग्राम के माध्यम से विविध भारती पर प्रसारित किया जिसे भारत के विभिन्न राज्यों के 35 शहरों में सुना गया।

इसी प्रकार इन्टरनेट रेडियो, “ रडियो उड़ान” पर भी अनीता जी का इंटरव्यू प्रसारित किया गया। इन कार्यक्रमों के बाद और भी कई बच्चे उन्हें जान गए और उनसे विभिन्न विषयों और प्रतियोगी परिक्षाओं के लिये रिकॉर्डिंग कराने लगे।

अनीता जी चाहती हैं कि अधिक से अधिक लोग अधिक से अधिक जगहों पर दृष्टिबाधित लोगों की मदद करें इसलिए 2012 में उन्होंने अपना एक YouTube Channel launch किया जिसपर वो अपनी आवाज़ में अलग-अलग विषयों के स्टडी मटेरियल रिकॉर्ड करके अपलोड करती हैं।

इसके आलावा उन्होंने इसी साल 12 जनवरी 2015 को स्वामी विवेकानंद की जयंती के शुभ अवसर पर वॉइस फॉर ब्लाइंड क्लब की स्थापना की जिसका  उद्देश्य दृष्टीबाधित लोगों को शिक्षा के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना है। आज इस क्लब में विभिन्न शहरों से 100 से अधिक सदस्य हैं जो दृष्टिबाधित लोगों की सेवा में तत्पर हैं।

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