Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Chuppe rahi let haa”,”चुप्पै रहि लेत हौं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

चुप्पै रहि लेत हौं

 Chuppe rahi let haa

 

बिटवा को माय ने बिगारि दियो कइस

दुइ बच्चन को बाप ह्वै छटूलो बनो जात है!

का कहै मरद जात कहै खिसियाय जात,

आपुनी जो बात होय मिरची लगि जात है!

पेट नाहीं भरत तो कहूँ मन कहाँ ते लगे

भइया के बुलाये जबै मैके चली जात है,

देख लेओ ढंग हम अभै दिखलाय देत

अम्माँ के सामैं और सिर चढ़ि जात हैं

मारे जल्दी के गरम चाय में मूँ डाल दियो

सासू देख लीन मुस्काति है बहुरिया

कइस चाय दई वाको मुँहै मार जरौ जाय,

पलेट में उँडेल ठंडाय दे बहुरिया!

पियाला की चहा तो पलेट में उँडेल दई,

भागि आई उहाँ ते तुरंत सासु यू न कहें,

फूँक मार-मार के पियाय दे बहुरिया!

हमको तो दफ़तर जाये का देर होइ जाई,

अभै तो नहाय का है.काहे ना नहात हो?

काहे से कि गमछा किसउ ने कहूँ डारि दियो,

तुरत ना पोंछे हमका ठंडी लगि जात हौ!

गमछा तो लाय के थमाय दीजो बाद में

पहिल ताता पानी पहुँचाय दे बहुरिया ।

गमछा थमाय भागि आई कहूँ कहि न दें,

साबुन लगाय अन्हबाय दे बहुरिया ।

बड़ी देर लागि तहाँ झांकेउ न कहें न कहूँ

उहका तेल-बुकवा लगाय दे बहुरिया!

एतन में कान सुन्यो हमरी बुस्सट्ट कहाँ

दौरि घबराय धरि दीन्ह और भागि आये

कहूँ सास बोलि उठें हमका तो जोर परी

बटन खोलि वाको पहिराय दे बहुरिया!

थारी खाना दियो आपै खालिंगे बैठि

हम तो दूर बैठि के अगोरत रसुइया,

दार में नोन थोरो फीको है,हम लाय दियो

दारि देउ नेक तुहै हमरी कटुरिया

हम समुझायो हमका कइस अंजाद परी

या को सबाद तुम्हें आपुनो हिसाब करि

एतन में सासु माय बोलि परी काहे नाहिं

नेक नोन डरि के मिलाय दे बहुरिया!

चुटकी भर नोन डारि भागि आये झट्ट सानी

उनको का ठिकानो कहै  मो ही सो कहें लाग

कौर कौर करके खबाय दे बहुरिया!

मर्दुअन के संगे सनीमा देखि आये जौन

मोर पूत हाय मार कैसो थकाइ गा,

आँखिन में नींद भरी कैसी झुकाय रहीं.

जाके तू बिछौना बिछाय दे बहुरिया!

चट्ट पट्ट भागि आई सासु माँ इहै न कहैं

लोरी गाय-गाय के सुबाय दे बहुरिया

ई लिख ततैया केर छत्ता में हाथ दियो

देखि लीजो दौरि-दौरि आय डंक मरिहैं

बिलैया के जैसे खिसियाय नोचें खंबन का,

लरिकन का जत्था खौखियाय दौरि परिहै,

लिखि कै धर्यो है,दिखावन की हिम्मत नाहिं,

जाही से परकासन की गुस्ताखी नाहीं करिहौं

केहू के चिढ़ाबो नाहीं,थोरो सो विनोदभाव

नाहीं आच्छेप मैं साखी दै कहत हौं

काटन को दौरि जनि परे इहां पुरुस वृंद

तासे पहिले ही हौं तो माफ़ी मांगि लैत हों!

लंबी है गाथा सासु-माँ तुम्हार पुत्तर की

आगे कबहुँ कहिवे आज चुप्पै रहि लेत हौं!

 

 

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