Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Mori jot na Chunchuay”,”मोरी जोत ना धुँधुआय” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

मोरी जोत ना धुँधुआय

 Mori jot na Chunchuay

 

पीछे छूटि गई सारी भीर-भार!

अब तो उतरि गो सैलाब,

जी में काहे की हरास,

लै जात नहीं केऊ का उधार!

सँवारि दये बच्चा,

निभाइ दियो कुनबा,

अब बार फँसे चाँदी के तार!

झेली छाँह-धूप सारी,

राह पूरी करि डारी,

थोरो बच्यो सो भी होय जाई पार!

सही लागे सोई करिबे,

आपुन सिर उठाय जीबै!

केऊ और से लगइबे ना गुहार!

मोरे आपुने हैं सारे

कोई बूढ़ कोई बारे,

बाँट लेई सारो दुख सुख सबार!

जौ लौं जियैये राम,

खाली बैठिबो हराम,

ना केऊ की दया की दरकार!

दीन नाहीं हुइबे,

मलीन नाहीं हुइबे,

कुछु जादा नहीं चाहिबो हमार!

कोऊ पछितावा नहीं,

अँसुअन की भाखा नहीं,

विरथा नाहीं गयो जीवन हमार!

आपुन पावनो लै लीन्हों,

हुइ पायो सो कर दीन्हो!

अब तो सामने ही होई लिखवार!

मोरी जोत ना धुँधुआय,

पूरी भभके औ बुझि जाय!

प्रभु से ऐही बस विनती हमार

 

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