Indian Geography Notes on “Vegetable life in the Himalayas” Geography notes in Hindi for class 9, Class 10, Class 12 and Graduation Classes

हिमालय में वनस्पति जीवन

Vegetable life in the Himalayas

हिमालय में पाई जाने वाली वनस्पति को ऊँचाई और बारिश के आधार पर मुख्यतः चार क्षेत्रों में बाँटा जा सकता है- उष्ण, उपोष्ण, शीतोष्ण और आम्लीय। ऊँचाई तथा जलवायु में स्थानीय भिन्नता तथा सूर्य के प्रकाश और हवा के कारण प्रत्येक क्षेत्र के वानस्पतिक जीवन में काफ़ी भिन्नता पाई जाती है। उष्णकटिबंधीय वर्षा प्रचुर वन, पूर्वी और मध्य हिमालय की नम तराइयों तक सीमित है। सदाबहार डिप्टेरोकार्प्स, इमारती लकड़ी और राल उत्पाद करने वाले वृक्ष आम हैं। इनकी विभिन्न प्रजातियाँ, विभिन्न मिट्टियों तथा भिन्न ढालों वाली पर्वतीय ढलानों पर उगती हैं। आयरनवुड (मेसुआ फ़ेरिया) 183 और 732 मीटर की ऊँचाइयों के बीच छिद्रदार मिट्टी के क्षेत्र में पाया जाता है।

तीखी ढलानों पर बांस उगते हैं, ओक और चेस्टनट 1,097 से 1,737 मीटर की ऊँचाइयों पर पश्चिम में हिमाचल प्रदेश से मध्य नेपाल तक बलुई पत्थरों को ढकने वाली अश्ममृदा में उगते हैं। तीखी ढलानों पर जलधाराओं के किनारे एल्डर के वृक्ष पाए जाते हैं। अधिक ऊँचाई पर इनका स्थान पर्वतीय से वन ले लेते हैं, जिनमें सामान्य सदाबहार प्रजाति पेंडानस फ़रकेटस है, जो एक प्रकार का स्क्रू पाइन (केतकी) है। पूर्वी हिमालय में अनुमानतः इन वृक्षों के अलावा लगभग 4,000 प्रजातियों के फूलदार पौधे पाए जाते हैं, जिनमें से 20 खजूर जाति के हैं। पश्चिम की ओर घटती हुई वर्षा और बढ़ती हुई ऊँचाई के साथ-साथ वर्षा वनों का स्थान उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन ले लेते हैं, जहाँ बहुमूल्य इमारती वृक्ष साल (शोरिया रोबस्टा) प्रमुख प्रजाति है, साल 914 मीटर (नम साल) से 1,372 मीटर (शुष्क साल) की ऊँचाइयों तक के ऊँचे पठारों में फलता-फूलता है। इसके और आगे पश्चिम में क्रमशः स्तेपी वन (विस्तृत मैदानों में स्थित वन) उपोष्ण कटिबंधीय काँटेदार स्तेपी और उपोष्ण कटिबंधीय उपमरुस्थलीय वनस्पति पाई जाती है। शीतोष्ण वन लगभग 1,372 से 3,353 मीटर की ऊँचाइयों के बीच फैले हुए हैं और इनमें शंकुधारी तथा चौड़ी पत्तियों वाले शीतोष्ण कटिबंधीय वृक्ष पाए जाते हैं। ओक तथा शंकुधारी वृक्षों के सदाबहार जंगलों की सुदूर पश्चिमी पर्वतीय सीमा पाकिस्तान में रावलपिंडी के लगभग 48 किलोमीटर पश्चिमोत्तर में मढ़ी के ऊपर के पहाड़ों पर स्थित है। ये वन निम्न हिमालय की विशिष्टता हैं, जो भारत में कश्मीर के पीर पंजाल की बाहरी ढलानों पर स्पष्ट दिखते हैं।

चीड़ पाइन

823 से 1,646 मीटर की ऊँचाई तक चीड़ पाइन (पाइनस रॉक्सबर्घी) प्रमुख प्रजाति है। अंदरूनी घाटियों में यह प्रजाति 1,920 मीटर की ऊँचाई तक भी पाई जा सकती है।

देवदार

देवदार, जो काफ़ी महत्त्वपूर्ण स्थानीय प्रजाति है, मुख्यतः पर्वतश्रेणी के पश्चिमी हिस्से में पाई जाती है। यह प्रजाति 1,920 से 2,743 मीटर की ऊँचाई के बीच उगती है तथा सतलुज व गंगा नदियों की ऊपरी घाटियों में और अधिक ऊँचाई पर भी उग सकती है। अन्य शंकुधारी वृक्षों में ब्लू पाइन व स्प्रूस के वृक्ष लगभग 2,225 और 3,048 मीटर के बीच पाए जाते हैं।

आल्पीय क्षेत्र 3,200 और 3,566 मीटर की ऊँचाइयों के बीच वृक्ष रेखा से ऊपर का क्षेत्र है और पश्चिमी हिमालय में लगभग 4,176 मीटर तथा पूर्वी हिमालय में 4,450 मीटर की ऊँचाई तक फैला है। इस क्षेत्र में सभी प्रकार की नम आल्पीय वनस्पतियाँ पाई जाती हैं। जूनिपर कई क्षेत्रों में होता है, विशेषकर धूपदार, तीखी और चट्टानी ढलानों तथा शुष्क क्षेत्रों में इसका आधिक्य है। नंगा पर्वत पर यह 3,886 मीटर की ऊँचाई पर भी पाया जाता है। रोडोडेंड्रोन हर जगह होता है, लेकिन पूर्वी हिमालय के नम हिस्सों में इसकी बहुतायत है, जहाँ यह वृक्षों से लेकर छोटी झाड़ियों तक हर आकार में उगता है। निचले क्षेत्रों में जहाँ नमी की अधिकता है, वहाँ काई और शैवाक (लाइकेन) उगते हैं, अधिक ऊँचाई, विशेषकर नंगा पर्वत और माउंट एवरेस्ट पर फूलदार पौधे भी पाए जाते हैं।

 

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