Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Rona Kyo” , “रोना क्यों” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

रोना क्यों

Rona Kyo

 

सूफी-संतों में राबिया का स्थान बहुत ऊंचा था| वे बड़ी सादगी का जीवन बितातीं थीं और सबको बेहद प्यार करती थीं| ईश्वर में उनकी अगाध श्रद्धा थी| उन्होंने अपना सब कुछ उन्हीं को सौंप रखा था|

एक दिन एक व्यक्ति राबिया के पास आया|

उसके सिर पर पट्टी बंधी थी| राबिया ने पूछा – क्यों भाई क्या बात है? यह पट्टी क्यों बांध रखी है?

वह आदमी बोला – सिर में बड़ा दर्द है|

राबिया ने पूछा – तुम्हारी कितनी उम्र है?

उत्तर मिला – यही कोई तीस-एक साल की है|

अच्छा यह बताओ| राबिया ने आगे सवाल किया – इन तीस वर्षों में तुम तंदुरुस्त रहे या बीमार?

उसने कहा – मैं हमेशा तंदुरुस्त रहा| कभी बीमार नहीं पड़ा|

तब राबिया मुस्कराकर बोलीं – भले आदमी, तुम इतने साल तंदुरुस्त रहे, पर तुमने एक दिन इसके शुकराने में पट्टी नहीं बांधी और अब जरा सिर में दर्द हो गया तो शिकायत की पट्टी बांध ली!

राबिया की बात सुनकर वह आदमी बहुत शर्मिंदा हुआ और कुछ न बोल सका चुपचाप सिर झुकाकर चला गया|

राबिया की ये बात सुनने में तो मामूली लगती है, लेकिन इससे उनका मतलब था कि सुख में तो हम भगवान को याद नहीं करते हैं और दुखों के आते ही भगवान के सामने अपने दुखों का रोना शुरू कर देते हैं|

 

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