Motivational Story “Guru Nanak Dev Ji”,”गुरु नानक देव जी” Hindi Motivational Story for, Primary Class, Class 10 and Class 12

गुरु नानक देव जी

Guru Nanak Dev Ji

बात उन दिनों की है जब गुरु नानक अपने शिष्यों बाला और मरदाना के साथ पैदल ही जगह यात्रा किया करते थे। एक बार वो किसी गाँव से गुजर रहे थे, रास्ते में मरदाना को बहुत तेज प्यास लगी, धूप बहुत तेज थी और वो लोग काफी देर से पैदल ही चल रहे थे इस वजह से गुरु नानक को भी बहुत प्यास लगी थी। लेकिन दूर दूर तक कुछ दिखाई नहीं दे रहा था ,चलते चलते उन्हें एक पहाड़ी दिखाई दी जिसकी चोटी पर एक कुआं दिख रहा था। मरदाना को लगा कि चलो यहाँ पानी मिल ही जायेगा। उस कुएं का मालिक एक लालची और धनी(Greedy & Rich) व्यक्ति था, जो भी इंसान कुएं पर पानी पीने, नहाने या कपड़े धोने आता वो उससे पानी के बदले धन(Money) लिया करता था।

गुरु नानक ने मरदाना को थोड़ा पानी लाने के लिए भेजा। मरदाना गर्मी से बेहाल पहाड़ी के शिखर पर गया और कुएं के मालिक से बोला- मैं बहुत प्यासा हूँ, क्या आप मुझे थोड़ा पानी देंगे? आदमी बोला- आपको पानी के बदले धन देना पड़ेगा(You have to pay money), मरदाना- मित्र हमांरे पास धन नहीं है, बस थोड़ा पानी चाहिए जिससे मेरी और गुरूजी की प्यास बुझ जाये। आदमी- नहीं अगर आपके पास धन(money) नहीं है तो आपको पानी नहीं मिल सकता।

मरदाना वापस लौटकर गुरूजी के पास आ गया और सारी बात बताई, गुरु नानक(Guru Nanak Dev ji) ने फिर से जाने को कहा। मरदाना फिर से गया लेकिन आदमी ने फिर से मना कर दिया। गुरु नानक ने कहा कि मैं इस आदमी को 3 मौके देता हूँ तुम फिर से जाओ; लेकिन इस बार वह आदमी मरदाना को डाँटते हुए बोला- धन दे सकते हो(if you can pay) तो बताओ मेरा समय बर्बाद मत करो।

भीषण गर्मी में गुरु नानक, और शिष्य बाला और मरदाना अभी तक प्यासे थे। गुरु जी बोले- ईश्वर हमारी मदद जरूर करेंगे और ऐसा कहकर नानक देव जी ने एक छोटी लकड़ी उठाई और मिट्टी में गड्ढा करने लगे, फिर जो हुआ उसे देखकर सबने दातों तले उँगलियाँ दबा ली; छोटे गड्ढे से ही पानी निकल आया वो भी एकदम शुद्ध और साफ। गुरूजी और शिष्यों ने पानी पीकर प्यास बुझाई, यह देखकर बाकि गाँव वाले भी आ गए और वो भी शीतल पानी का आनंद लेने लगे।

उस लालची आदमी ने पहाड़ी के ऊपर यह सब देखा तो आश्चर्य से अपने कुएँ में झाँककर देखा तो ये क्या? एक तरफ गुरूजी के पास पानी की धारा फूट पढ़ी थी वही दूसरी तरफ उसके कुएं का पानी लगातार सूखता जा रहा था। उसे समझ नहीं आया कि अचानक ये क्या चमत्कार हो रहा है? उसने गुस्से में अपनी पूरी ताकत जुताई और एक बड़ा सा पत्थर गुरु नानक की ओर धकेला। पत्थर पूरी तेजी से नानक जी की ओर आ रहा था ये देखकर सारे गाँव वाले घबरा गए लेकिन नानक देव जी ध्यान में बेखबर बैठे थे, पत्थर को देखकर मरदाना चिल्लाया कि गुरु जी आप हट जाइये लेकिन जैसे ही पत्थर पास आया, गुरूजी ने अपना बाँया हाथ आगे किया और विशाल पत्थर हाथ से टकराकर वहीँ के वहीँ रुक गया। ये सब जब उस लालची आदमी ने देखा उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी। ईश्वर का यह चमत्कार उसने पहली बार देखा था, वह भाग कर आया और नानक जी के चरणों में गिर पड़ा उसे अपनी गलती का अहसास गया था।

नानक जी ने समझाया- जिसका कोई नहीं होता उसका ईश्वर होता है, जो हमें जन्म दे सकता है वो पाल भी सकता है। किस बात का गुरुर? किस बात का घमंड? तुम्हारा कुछ नहीं है सब कुछ यहीं रह जायेगा, तुम खाली हाथ आये थे खाली हाथ ही जाओगे। अगर तुम दुनियाँ के लिए कुछ करके जाओगे तो मरकर भी लोगों के दिलों में जिन्दा रहोगे।

मित्रों गुरु नानक देव जी इस कहानी से हमें सीख लेनी चाहिए,

 

 

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