Hindi Poem of Raskhan’“Khetal faag suhag Bhari , “खेलत फाग सुहाग भरी ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

खेलत फाग सुहाग भरी -रसखान

Khetal faag suhag Bhari -Raskhan

 

खेलत फाग सुहाग भरी, अनुरागहिं लालन को धरि कै ।

 भारत कुंकुम, केसर की पिचकारिन में रंग को भरि कै ॥

 गेरत लाल गुलाल लली, मनमोहन मौज मिटा करि कै ।

 जात चली रसखान अली, मदमस्त मनी मन कों हरि कै ॥

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