Category: Hindi Poems

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Nok jhonk”,” नोक-झोंक” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

नोक-झोंक  Nok jhonk   पति खा के धतूरा, पी के भंगा, भीख माँगो रहो अध-नंगा, ऊपर से मचाये हुडदंगा,  ये सिरचढी गंगा! ‘ फुलाये मुँह पारवती! ‘मेरे ससुरे से …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Pralay yamini”,” प्रलय-यामिनी” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

प्रलय-यामिनी  Pralay yamini   बढी आ रही,इक प्रलय की लहर ने कहा जिन्दगी से अरे यों न डर आज कितनी मधुर है प्रलय यामिनी! आज लहरें बढेंगी बुलाने तुम्हें, …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Kumar ka hath”,” कुमार का हठ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

कुमार का हठ  Kumar ka hath   षड्मुख घूमि तीन लोकन में आइ चरन सिर नाये! स्रम से थकित आइ बइठे, देखित गणेश मुस्काये! ‘गये न तुम ,काहे से …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Rudra nartan”,” रुद्र-नर्तन” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

रुद्र-नर्तन  Rudra nartan   गूँजते हैं अवनि अंबर, शंख-ध्वनि की गूँज भर भर, खुल रहीं पलकें प्रलय की, छिड़ रहे विध्वंस के स्वर! सृष्टि क्रम के बाद खुलता जा …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Pariksha”,” परीक्षा” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

परीक्षा  Pariksha   परीच्छा अहै बहुत भारी!इहाँ देखौ कौने हारी! मात-पिता के माथ नवाइल षड्मुख तुरत पयाने, चढि मयूर वाहन  पल भर में हुइ गे  अंतरधाने! परिल सोच में …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Gagan ne dhara se kaha ek din”,” गगन ने धरा से कहा एक दिन” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गगन ने धरा से कहा एक दिन  Gagan ne dhara se kaha ek din   गगन ने धरा से कहा एक दिन, सिर्फ पत्थर बसे हैं तुम्हारे हृदय में! …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Ganpati ka vivah”,”गणपति का विवाह!” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गणपति का विवाह!  Ganpati ka vivah   ऋद्धि-सिद्ध हेतु वर की खोज -,बर खोजन चले विधना! दुइ कन्या गुनखानी! ‘ऋद्धि-सिद्धि दोउ जुड़वाँ बहिनी अब लौ क्वाँरी रहलीं, का सों …

Hindi Poem of Pratibha Saksena “  Bolte patthar”,” बोलते पत्थर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

बोलते पत्थर  Bolte patthar   बोल उछते हैं ये पत्थर! हटा कर यह सदियों की धुन्ध, और जो पडी युगों की भूल, अनगिनत अविरल काल-प्रवाह इन्हीं मे खोते जाते भूल! …