Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Pehle Apne ko Pehchano” , “पहले अपने को पहचानो” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

पहले अपने को पहचानो

Pehle Apne ko Pehchano

 

 

एक दिन दस लड़के यात्रा पर रवाना हुए| उन्होंने तय कर लिया कि अमुक स्थान पर उन्हें पहुंचना है| सब अपने-अपने हिसाब से चलने लगे| कोई तेज चलता तो कोई धीरे| सब अलग-अलग हो गए|

शाम को सबों के मंजिल पर पहुंचने पर उन्होंने आपस में सलाह की कि पूरी टोली को गिल लेना चाहिए| कहीं कोई रास्ते में तो नहीं रह गया|

एक लड़के ने सबको कतार में खड़ा कर दिया और लगा गिनने| एक, दो, तीन, चार, पांच, छ:, सात, आठ, नौ| उसने कहा – हम नौ हैं| दसवां कहीं रह गया|

दूसरा बोला – ठहरो, मैं गिनता हूं| तुमसे भूल हो सकती है|

उसने गिना, वही नौ|

अब क्या हो! उनका एक साथी कहीं गुम हो गया| सब परेशान होकर एक-दूसरे का मुंह देखने लगे|

तभी एक आदमी उधर से गुजरा| उन्हें परेशान देखकर उसने पूछा – क्या बात है?

उन सबने अपनी हैरानी बता दी कि हम घर से दस चले थे अब नौ रह गए हैं|

उस आदमी ने उन पर एक निगाह डाली| बोला – लो तुम्हारे खोए साथी को मिलाए देता हूं|

उसने सबको पंक्ति में खड़ा करके गिनना आरंभ किया| वे पूरे दस निकले|

सारे लड़के बड़े खुश हुए| उन्होंने उस आदमी का आभार मानते हुए पूछा – भाई तुमने दसवां साथी कैसे मिला दिया|

उस आदमी ने कहा – भले आदमियों, तुममें से जो गिनता था, वह अपने को गिनना छोड़ देता था| इसी से हिसाब गलत हो जाता था|

उसका कहना सही था, हम अपने को भूल जाते हैं| इसी से दुनिया अधूरी दिखती है| इसी लिए वेदांत का कथन है कि पहले अपने को पहचानो फिर दुनिया को|

 

 

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