Hindi Poem of Ibne Insha “Apne humrah jo aate ho idhar se pahle”,”अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले

 Apne humrah jo aate ho idhar se pahle

अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले|

दश्त पड़ता है मियां इश्क़ में घर से पहले|

चल दिये उठके सू-ए-शहर-ए-वफ़ा कू-ए-हबीब,

पूछ लेना था किसी ख़ाक बसर से पहले|

इश्क़ पहले भी किया हिज्र का ग़म भी देखा,

इतने तड़पे हैं न घबराये न तरसे पहले|

जी बहलता ही नहीं अब कोई सअत कोई पल,

रात ढलती ही नहीं चार पहर से पहले|

हम किसी दर पे न ठिठके न कहीं दस्तक दी,

सैकड़ों दर थे मेरी जां तेरे दर से पहले|

चाँद से आँख मिली जी का उजाला जागा,

हमको सौ बार हुई सुबह सहर से पहले|

 

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