Hindi Short Story and Hindi Moral Story on “Mrityu Ka Bhay” , “मृत्यु का भय” Complete Hindi Prernadayak Story for Class 9, Class 10 and Class 12.

मृत्यु का भय

Mrityu Ka Bhay

 

 

 एक व्यक्ति चाहकर भी अपने दुर्गुणों पर काबू नहीं कर पा रहा था. एक बार उसके गाँव में संत फरीद आये. उसने उनसे अपनी परेशानी बतायी. फरीद ने कहा, ‘द्ढ सकंल्प से ही दुर्गुण छूटते हैं. यदि तुम इच्छाशक्ति मजबूत कर लोगे तो तुम्हें अपने दोषों से मुक्ति मिल जाएगी’. वह व्यक्ति प्रयास करके थक गया मगर उसे सफलता नहीं मिली. वह फिर फरीद के पास गया. फरीद ने पहले उसके माथे रेखाएं देखने का नाटक किया, फिर बोले, ‘अरे तुम्हारी जिंदगी के चालीस दिन ही शेष हैं. अगर इन बचे दिनों में तुमने दुर्गुण त्याग दिये तो तुम्हें सद्गति मिल जाएगी’. यह सुनकर वह आदमी परेशान हो गया. वह किसी तरह घर पहुँचा और व्यसनों की बात तो दूर, खाना-पीना तक भूल गया. वह हर पल ईश्वर को याद करता रहा. उसने गलत कार्य नहीं किया. चालीस दिन बीतने पर वह फरीद के पास पहुँचा. उन्होंने पूछा,’इतने दिनों में तुमने कितने गलत कार्य किये?’ उस व्यक्ति ने जवाब दिया,’मैं क्या करता. मैं तो हर पल ईश्वर को याद करता रहा.’ संत फरीद मुस्कराते होए बोले,’जाओ अब तुम पूरी तरह सुरक्षित हो. तुम अच्छे इंसान बन गये हो. जो व्यक्ति हर समय मृत्यु को ध्यान रखकर जीवनयापन करता है वह भला इंसान बन जाता है.’

 

 

 एक फकीर ने अपना अंत समय देख अपने शिष्यों से कहा,’मेरे पास जो भी धन-संपत्ति है उसे मैं सबसे गरीब व्यक्ति को दूंगा.’ अगले दिन उसकी कुटिया के आगे निर्धनों की भीड लग गयी पर फकीर ने उन्हें कुछ नहीं दिया. तभी उधर से अपने रथ पर राजा निकला. फकीर ने धन की थैली उसकी ओर फेंक दी. राजा ने हँसकर कहा,’तुम पागल हो गये हो क्या? मैं तो यहाँ का राजा हूँ’ फकीर बोला,’तुम्हारे पास अपार धन-दौलत है पर संतोष नहीं. तुम लालची हो इसलिये मैं तुम्हें सबसे ज्यादा गरीब मानता हूँ.’ राजा शर्मिंदा हो गया और उस दिन से प्रजा की भलाई में जुट गया.

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.