Hindi Poem of Dharamvir Bharti “Subhash ki Mrityu par”,”सुभाष की मृत्यु पर” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

सुभाष की मृत्यु पर

 Subhash ki Mrityu par

दूर देश में किसी विदेशी गगन खंड के नीचे

सोये होगे तुम किरनों के तीरों की शैय्या पर

मानवता के तरुण रक्त से लिखा संदेशा पाकर

मृत्यु देवताओं ने होंगे प्राण तुम्हारे खींचे

प्राण तुम्हारे धूमकेतु से चीर गगन पट झीना

जिस दिन पहुंचे होंगे देवलोक की सीमाओं पर

अमर हो गई होगी आसन से मौत मूर्च्छिता होकर

और फट गया होगा ईश्वर के मरघट का सीना

और देवताओं ने ले कर ध्रुव तारों की टेक –

छिड़के होंगे तुम पर तरुनाई के खूनी फूल

खुद ईश्वर ने चीर अंगूठा अपनी सत्ता भूल

उठ कर स्वयं किया होगा विद्रोही का अभिषेक

किंतु स्वर्ग से असंतुष्ट तुम, यह स्वागत का शोर

धीमे-धीमे जबकि पड़ गया होगा बिलकुल शांत

और रह गया होगा जब वह स्वर्ग देश

खोल कफ़न ताका होगा तुमने भारत का भोर।

 

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