Hindi Poem of Adam Gondvi “Na mahalo ki bulandi se, na lafazo ke Nagine se“ , “न महलों की बुलन्दी से , न लफ़्ज़ों के नगीने से ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

न महलों की बुलन्दी से , न लफ़्ज़ों के नगीने से
Na mahalo ki bulandi se, na lafazo ke Nagine se

ग़ज़ल को ले चलो अब गाँव के दिलकश नज़ारों में
मुसल्सल फ़न का दम घुटता है इन अदबी इदारों में

न इन में वो कशिश होगी , न बू होगी , न रआनाई
खिलेंगे फूल बेशक लॉन की लम्बी कतारों में

अदीबो ठोस धरती की सतह पर लौट भी आओ
मुलम्मे के सिवा क्या है फ़लक़ के चाँद-तारों में

रहे मुफ़लिस गुज़रते बे-यक़ीनी के तजरबे से
बदल देंगे ये इन महलों की रंगीनी मज़ारों में

कहीं पर भुखमरी की धूप तीखी हो गई शायद
जो है संगीन के साये की चर्चा इश्तहारों में.

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.