Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Vedna “ , “वेदना ” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

वेदना
Vedna

 

बीती जाय जवानी रे
बीती जाय जवानी

गई कपोलों की चिकनाई
पडी़ आँख के नीचे छाई
नई लकीरें उभर रही हैं
सलवट हुई पेशानी रे
बाती जाय जवानी

जुगराफ़िया हो गया ढीला
मध्य भाग में उभरा टीला
जकड़ गई है कमर, पीठ भी
झुक कर हुई कमानी रे
बाती जाय जवानी

खत्म हुई चालों की चुस्ती
छाई रहती अक्सर सुस्ती
यादें ही हैं शेष कि अब तो
मस्ती! हुई कहानी रे
बाती जाय जवानी

अंकल कह कर गई यौवना
उठी हृदय में तीव्र वेदना
तभी याद आ गया अचानक
बिटिया हुई सयानी रे
बाती जाय जवानी

एकालाप सुना जब उसने
कहा देखते हो क्यों सपने
बीत गई, फिर भी कहते हो
बीती जाय जवानी रे
बाती जाय जवानी

 

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