Hindi Poem of Amitabh Tripathi Amit “Vo mere haq ke liye mera bura karte hai“ , “वो मेरे हक़ के लिये मेरा बुरा करते हैं” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

वो मेरे हक़ के लिये मेरा बुरा करते हैं
Vo mere haq ke liye mera bura karte hai

 

अब अंधेरों में उजालों से डरा करते हैं
ख़ौफ़, जुगनूँ से भी खा करके मरा करते हैं

दिल के दरवाजे पे दस्तक न किसी की सुनिये
बदल के भेष लुटेरे भी फिरा करते हैं

उनका अन्दाज़े-करम उनकी इनायत है यही
वो मेरे हक़ के लिये मेरा बुरा करते हैं

गुनाह वो भी किये जो न किये थे मैंने
यूँ कमज़र्फ़ों के किरदार गिरा करते हैं

तंज़ करके गयी बहार भी मुझपे ही ‘अमित’
कभी सराब भी बागों को हरा करते हैं

 

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