Hindi Poem of Ashok Vajpayee “ Gadhe andhere me  ”,”गाढे अंधेरे में” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

गाढे अंधेरे में

Gadhe andhere me 

 

इस गाढे अंधेरे में

यों तो हाथ को हाथ नहीं सूझता

लेकिन साफ़-साफ़ नज़र आता है:

हत्यारों का बढता हुआ हुजूम,

उनकी ख़ूंख़्वार आंखें,

उसके तेज़ धारदार हथियार,

उनकी भड़कीली पोशाकें

मारने-नष्ट करने का उनका चमकीला उत्साह,

उनके सधे-सोचे-समझे क़दम।

हमारे पास अंधेरे को भेदने की कोई हिकमत नहीं है

और न हमारी आंखों को अंधेरे में देखने का कोई वरदान मिला है।

फिर भी हमको यह सब साफ़ नज़र आ रहा है।

यह अजब अंधेरा है

जिसमें सब कुछ साफ़ दिखाई दे रहा है

जैसे नीमरोशनी में कोई नाटक के दृश्य।

हमारे पास न तो आत्मा का प्रकाश है

और न ही अंतःकरण का कोई आलोक:

यह हमारा विचित्र समय है

जो बिना किसी रोशनी की उम्मीद के

हमें गाढे अंधेरे में गुम भी कर रहा है

और साथ ही उसमें जो हो रहा है

वह दिखा रहा है:

क्या कभी-कभार कोई अंधेरा समय रोशनी भी होता है?

 

 

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