Hindi Poem of Bekal Utsahi “ Ye duniya tujhse milne ka vasila kaat jati he”,”ये दुनिया तुझसे मिलने का वसीला काट जाती है” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

ये दुनिया तुझसे मिलने का वसीला काट जाती है

 Ye duniya tujhse milne ka vasila kaat jati he

ये दुनिया तुझसे मिलने का वसीला काट जाती है

ये बिल्ली जाने कब से मेरा रस्ता काट जाती है

पहुँच जाती हैं दुश्मन तक हमारी ख़ुफ़िया बातें भी

बताओ कौन सी कैंची लिफ़ाफ़ा काट जाती है

अजब है आजकल की दोस्ती भी, दोस्ती ऐसी

जहाँ कुछ फ़ायदा देखा तो पत्ता काट जाती है

तेरी वादी से हर इक साल बर्फ़ीली हवा आकर

हमारे साथ गर्मी का महीना काट जाती है

किसी कुटिया को जब \”बेकल\”महल का रूप देता हूँ

शंहशाही की ज़िद्द मेरा अंगूठा काट जाती है

 

 

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