Hindi Poem of Bharatendu Harishchandra “  Jagat me ghar ki foot buri, “जगत में घर की फूट बुरी” Complete Poem for Class 10 and Class 12

जगत में घर की फूट बुरी

 Jagat me ghar ki foot buri

 

जगत में घर की फूट बुरी।

घर की फूटहिं सो बिनसाई, सुवरन लंकपुरी।

फूटहिं सो सब कौरव नासे, भारत युद्ध भयो।

जाको घाटो या भारत मैं, अबलौं नाहिं पुज्यो।

फूटहिं सो नवनंद बिनासे, गयो मगध को राज।

चंद्रगुप्त को नासन चाह्यौ, आपु नसे सहसाज।

जो जग में धनमान और बल, अपुनो राखन होय।

तो अपने घर में भूलेहु, फूट करो मति कोय॥

 

 

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