Hindi Poem of Bihari Lal Chaube “Pasav ritu Brindavanki , “पावस रितु बृन्दावनकी ” Complete Poem for Class 10 and Class 12

पावस रितु बृन्दावनकी -बिहारी लाल

Pasav ritu Brindavanki – Bihari Lal Chaube

 

पावस रितु बृन्दावन की दुति दिन-दिन दूनी दरसै है।
छबि सरसै है लूमझूम यो सावन घन घन बरसै है॥१॥
हरिया तरवर सरवर भरिया जमुना नीर कलोलै है।
मन मोलै है, बागों में मोर सुहावणो बोलै है॥२॥
आभा माहीं बिजली चमकै जलधर गहरो गाजै है।
रितु राजै है, स्याम की सुंदर मुरली बाजै है॥३॥
(रसिक) बिहारीजी रो भीज्यो पीतांबर प्यारी जी री चूनर सारी है।
सुखकारी है, कुंजाँ झूल रह्या पिय प्यारी है॥४॥

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