Hindi Poem of Dharamvir Bharti “Vida deti ek dubli baah”,”विदा देती एक दुबली बाँह” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

विदा देती एक दुबली बाँह

Vida deti ek dubli baah 

विदा देती एक दुबली बाँह सी यह मेड़

अंधेरे में छूटते चुपचाप बूढ़े पेड़

ख़त्म होने को ना आएगी कभी क्या

एक उजड़ी माँग सी यह धूल धूसर राह?

एक दिन क्या मुझी को पी जाएगी

यह सफर की प्यास, अबुझ, अथाह?

क्या यही सब साथ मेरे जायेंगे

ऊँघते कस्बे, पुराने पुल?

पाँव में लिपटी हुई यह धनुष-सी दुहरी नदी

बींध देगी क्या मुझे बिलकुल?

 

Leave a Reply

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.