Hindi Poem of Ibne Insha “Insha ji utho ab kuch karo”,”इंशाजी उठो अब कूच करो” Complete Poem for Class 9, Class 10 and Class 12

इंशाजी उठो अब कूच करो

 Insha ji utho ab kuch karo

इंशाजी उठो अब कूच करो,

इस शहर में जी का लगाना क्या

वहशी को सुकूं से क्या मतलब,

जोगी का नगर में ठिकाना क्या

इस दिल के दरीदा दामन में

देखो तो सही, सोचो तो सही

जिस झोली में सौ छेद हुए

उस झोली को फैलाना क्या

शब बीती चाँद भी डूब चला

ज़ंजीर पड़ी दरवाज़े पे

क्यों देर गये घर आये हो

सजनी से करोगे बहाना क्या

जब शहर के लोग न रस्ता दें

क्यों बन में न जा बिसराम करें

दीवानों की सी न बात करे

तो और करे दीवाना क्या

 

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